कांग्रेस विधायक ने डीवीसी पर खड़े किए सवाल बोकारो:अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर संयुक्त मोर्चा संघर्ष समिति के बैनर तले बोकारो थर्मल और चंद्रपुरा थर्मल प्लांट का गेट जाम बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा. डीवीसी के खिलाफ आंदोलन जनसमस्या से ज्यादा राजनीतिक होता जा रहा है. बीजेपी और इंडिया गठबंधन के नेता खुल कर आंदोलन में सामने आ गए हैं, जिससे राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है.
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दरअसल, संयुक्त मोर्चा के तहत इंडिया गठबंधन का चेहरा सामने है, जिसका नेतृत्व बेरमो से कांग्रेस विधायक कुमार जय मंगल उर्फ अनूप सिंह कर रहे हैं. वहीं, डीवीसी के मैथन पावर प्लांट का गेट भी जाम कर दिया गया है. यहां का श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ है, जिसे बीजेपी का श्रमिक संघ माना जाता है. वहीं मासस के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी के नेतृत्व में डीवीसी के पंचेत पावर प्लांट के गेट को जाम कर दिया गया है.
कैसे पड़ा राजनीतिक रंग:दरअसल, आंदोलन को राजनीतिक रंग देने का आरोप भी डीवीसी प्रबंधन पर ही लग रहा है. मैथन पावर प्लांट में गेट जाम को लेकर डीवीसी प्रबंधन ने धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह और निरसा की भाजपा विधायक अपर्णा सेन गुप्ता से बात कर मामले को राजनीतिक बना दिया है. मामले के राजनीतिक होने के कारण बिजली संयंत्र में कोयले की कमी होने की आशंका बढ़ गयी है, जिससे राज्य में बिजली संकट गहरा सकता है.
इस मामले को लेकर बेरमो विधायक अनूप सिंह ने कहा कि डीवीसी प्रबंधन धनबाद सांसद पीएन सिंह और भाजपा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता से बातचीत कर रहा है. संयुक्त मोर्चा के बैनर तले बेरमो में आंदोलन चल रहा है. यहां न तो पीएन सिंह सांसद हैं और न ही अपर्णा सेन गुप्ता विधायक हैं. संयुक्त मोर्चा ने यहां की समस्या को लेकर आंदोलन किया है, जिसके नेता राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं.
कांग्रेस विधायक ने डीवीसी पर लगाए आरोप:कांग्रेस विधायक अनूप सिंह ने डीवीसी मुख्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि पावर प्लांट झारखंड में है और इसमें हमारी 51 फीसदी हिस्सेदारी है. डीवीसी के चेयरमैन या सचिव को यहां आकर हमारे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात करनी होगी और उनके निर्देश के बाद ही हम गेट जाम आंदोलन वापस लेंगे.
बता दें कि डीवीसी मुख्यालय इस मामले में बीजेपी को तवज्जो देकर भारत गठबंधन को नजरअंदाज कर रहा है. इसी को लेकर बुधवार को दूसरी पाली से संयुक्त मोर्चा के लोग अधिकारियों और कर्मियों को प्लांट के अंदर से बाहर नहीं जाने देने की तैयारी से आये हैं. उनकी मुख्य मांगें विस्थापितों को रोजगार में 75 फीसदी हिस्सेदारी देना, लीज आवंटन नीति में 25 गुना किराया वृद्धि का विरोध, मोबाइल मेडिकल सुविधा की व्यवस्था, एसआईपी के तहत बैठकों में पंचायत प्रतिनिधियों को शामिल करना आदि थी.