देहरादून: आज आईएमए की पासिंग आउट परेड में 423 जेंटलमैन कैडेट्स शामिल हो गए. इसमें 333 भारतीय कैडेट्स और 90 विदेशी कैडेट्स शामिल हुए. आज इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास होकर 333 जांबाज भारतीय सेना में अधिकारी बन गए. आईएमए की पासिंग आउट परेड में इस बार उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 66 कैडेट्स हैं. उत्तराखंड से इस बार 31 कैडेट्स सेना में अफसर बन रहे हैं. दूसरे नंबर पर 39 कैडेट्स के साथ हरियाणा है.
देश को मिलेंगे 333 जांबाज 13 जून को संभवत: आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे की मौजूदगी में कैडेट्स को शपथ दिलाई गई. इस बार आईएमए के जेंटलमैन कैडेट्स चैटवुड बिल्डिंग से अंतिम पग निकालते हुए अपने करियर का प्रथम 'पग' चढ़ें. दरअसल, अंतिम पग के साथ ही पासआउट अधिकारियों को उनके रेजिमेंट में तैनाती दे दी जाएगी. पासिंग आउट परेड के दौरान दर्शक दीर्घा पूरी तरह से खाली रही.
देश को मिलेंगे 333 जांबाज ये भी पढ़ें:कोरोना काल में कैसी होगी पासिंग आउट परेड, ईटीवी भारत पर बोले IMA कमांडेंट जेएस नेगी
मित्र देशों की सेना को मिलेंगे इतने अधिकारी
इस बार पासिंग आउट परेड से मित्र देशों को भी 90 अधिकारी मिले हैं. अफगानिस्तान के 48, भूटान के 13, फिजी के 2, मालदीव के 3, मॉरीशस के 3, पापुआ न्यू गिनी का 1, श्रीलंका का 1, वियतनाम का 1 और तजाकिस्तान के 18 कैडेट्स पास हुए.
किस राज्य से कितने कैडेट्स
इस बार भारतीय सेना को 333 जांबाज अधिकारी मिले हैं. उत्तर प्रदेश से 66, हरियाणा से 39, उत्तराखंड से 31, बिहार से 31, पंजाब से 25, महाराष्ट्र से 18, हिमाचल प्रदेश से 14, जम्मू कश्मीर से 14, राजस्थान से 13, मध्य प्रदेश से 13, केरल से 8, गुजरात से 8, दिल्ली से 7, कर्नाटक से 7, पश्चिम बंगाल से 6, आंध्र प्रदेश से 4, छत्तीसगढ़ से 4, झारखंड से 4, मणिपुर से 4, चंडीगढ़ से 3, असम से 2, उड़ीसा से 2, तमिलनाडु से 2, तेलंगाना से 2, मेघालय, मिजोरम और लद्दाख से एक-एक कैडेट्स पास हुए.
बता दें कि, 1 अक्टूबर 1932 में 40 कैडेट्स के साथ आईएमए की स्थापना हुई और 1934 में इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पहला बैच पासआउट हुआ था. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक रहे भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ भी इसे एकेडमी के छात्र रह चुके हैं. इंडियन मिलिट्री एकेडमी से देश-विदेश की सेनाओं को 62 हजार 139 युवा अफसर मिल चुके हैं. इनमें मित्र देशों के 2,413 युवा अफसर भी शामिल हैं. आईएमए में हर साल जून और दिसंबर में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है. इस परेड के दौरान अंतिम पग पार करते ही कैडेट्स सेना में अधिकारी बन जाते हैं.