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YEAR ENDER 2020: जानिए झारखंड के राजनीतिक पटल पर किन घटनाओं ने मचाई हलचल

हर साल कुछ नया लेकर आता है. साल 2020 भी झारखंड के राजनीतिक मानचित्र पर कई नई घटनाओं को लेकर आया. कई ऐसी राजनीतिक घटनाएं घटी, जिसे लेकर लोगों में काफी कौतुहल मचा रहा. युवा नेतृत्व में राज्य में नई सरकार ने काम करना शुरू किया. बाबूलाल मरांडी और डॉ. अजय कुमार जेसे कई बड़े नेताओं की घर वापसी हुई. वहीं दलबदल का मामला भी चलता रहा.

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Published : Dec 25, 2020, 6:23 AM IST

Updated : Dec 25, 2020, 8:02 AM IST

political incidents in 2020 in jharkhand
जानिए झारखंड की राजनीतिक पटल पर किन घटनाओं ने मचाई हलचल

रांचीः साल 2020 में झारखंड की राजनीति 360 डिग्री पर घूम गई. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार ने काम करना शुरू कर दिया. कुछ नेताओं की घर वापसी हुई. कुछ कतार में हैं. लालू यादव भले ही सजायाफ्ता हों, लेकिन वो भी कई कारणों से सुर्खियों में रहे. हालांकि राज्य सरकार अपने कामकाज को ज्यादा गति दे पाती उससे पहले ही कोरोना की एंट्री हो गई.

जानिए झारखंड की राजनीतिक पटल पर किन घटनाओं ने मचाई हलचल
  • 6 जनवरी को पंचम विधानसभा का विशेष सत्र आहूत हुआ. 81 में से 78 विधायकों ने विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण किया. पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे समरीलाल, अंबा प्रसाद समेत कई विधायकों ने विधानसभा की सीढ़ी पर मत्था टेका. अनंत ओझा ने संस्कृत में शपथ ली.
    झारखंड विधानसभा
  • 29 दिसंबर 2019 को सूबे के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की ताजपोशी हुई. उनके साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम और रामेश्वर उरांव के अलावा राजद के सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली. लेकिन नए वर्ष में कैबिनेट विस्तार के लिए तय की गई 24 जनवरी की तारीख टालनी पड़ी. इसकी वजह बना चाईबासा के बुरूगुलीकेरा गांव में हुई सात ग्रामीणों की निर्मम हत्या का मामला. इसको देखते हुए कैबिनेट विस्तार कार्यक्रम को टालने के आग्रह के साथ खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे थे. बाद में 28 जनवरी को कैबिनेट का विस्तार हुआ.
    शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री और मंत्री
  • झारखंड की राजनीति के लिहाज से साल 2020 में कई उतार चढ़ाव देखे गए. सबसे अप्रत्याशित घटना रही बाबूलाल मरांडी की जेवीएम से पुराने घर भाजपा में वापसी. प्रदेश भाजपा में उनको शामिल कराने के लिए खुद अमित शाह को रांची आना पड़ा. अपने भाषण में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उन्हें पद की लालसा नहीं है और वे पार्टी के लिए झाड़ू लगाने को भी तैयार हैं.
    अमित शाह के साथ बाबूलाल मरांडी
  • राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि झारखंड विधानसभा की कार्यवाही बिना नेता प्रतिपक्ष के संचालित होती रही. चुनाव आयोग से भाजपा विधायक की मान्यता मिलने के बावजूद बाबूलाल मरांडी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला. दलबदल का मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में चल रहा है. इंसाफ के लिए बाबूलाल मरांडी हाई कोर्ट भी पहुंचे.
    बाबूलाल मरांडी, नेता, बीजेपी
  • दिसंबर 2017 से चारा घोटाला के अलग-अलग मामलों में सजा काट रहे लालू यादव झारखंड की राजनीति के केंद्र में बने रहे. कुछ माह जेल में रहने के बाद रांची के कार्डियेक सुपर स्पेशियलिटी से पेइंग वार्ड में शिफ्ट हो गए. कोरोना संक्रमण को देखते हुए उन्हें रिम्स निदेशक के केली बंगला में शिफ्ट कर दिया गया. इस दौरान जेल उल्लंघन के कई आरोप लगे. बिहार में भाजपा के नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि लालू यादव फोन पर एनडीए विधायकों को बिहार स्पीकर के चुनाव में शामिल नहीं होने के लिए प्रलोभन दे रहे हैं.
    लालू यादव, आरजेडी सुप्रीमो
  • झारखंड विधानसभा चुनाव में मिली हार का असर भाजपा पर दिखा. चक्रधरपुर से खुद अपनी सीट गंवा चुके लक्ष्मण गिलुआ ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उन्हें झामुमो के सुखराम उरांव ने 12334 वोट के अंतर से हरा दिया. हालांकि लक्ष्मण गिलुआ सितंबर 2020 तक प्रभार में रहे.
  • सत्ता गंवाने के बावजूद 25 सीटों के साथ झारखंड की मुख्य विपक्षी पार्टी बनी भाजपा. नए वर्ष में कोरोना के दस्तक से पहले ही संगठन में बड़ा फेरबदल हुआ. साल 2006 में बाबूलाल मरांडी का साथ देने वाले दीपक प्रकाश को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की कमान मिल गई. इसके कुछ माह बाद ही दीपक प्रकाश के लिए एक और अच्छी खबर आ गई. 19 जून को झारखंड से भाजपा के राज्यसभा सदस्य चुने गए. उन्हें सबसे ज्यादा 31 वोट मिले जबकि शिबू सोरेन के पास ज्यादा संख्या होने के बाद 30 वोट मिले.
    दीपक प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में खराब परफॉर्मेंस और पार्टी में अंतर्कलह के कारण डॉ. अजय कुमार ने झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और आम आदमा पार्टी में चले गए थे. लेकिन कुछ माह बाद ही सितंबर 2020 में दोबारा कांग्रेस में लौट आए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस उनके डीएनए में शामिल है. आपको याद दिला दें कि कांग्रेस में आने से पहले डॉ. अजय कुमार जेवीएम में थे. 2011 में जमशेदपुर से जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा सांसद बने थे.
    डॉ अजय कुमार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
  • झारखंड की राजनीति में नेताओं का स्वार्थ खुलकर दिखता रहा है. लंबे समय तक झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रदीप बलमुचू ने 2019 के चुनाव में घाटशिला से चुनाव लड़ने के लिए आजसू में एंट्री ले ली थी. जबकि पार्टी के अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत भाजपा में आ गए थे. लेकिन दोनों को चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. अब दोनों नेता कांग्रेस में वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं. बेरमो उपचुनाव के वक्त सुखदेव भगत के एक कांग्रेस मंच पर देखे जाने से विवाद भी हुआ. वहीं बलमुचू तो वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव से मिल भी चुके हैं. लेकिन अब तक बात नहीं बनी है.
    सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू
  • सत्ता गंवाने के बाद दुमका और बेरमो में हुए उपचुनाव में भाजपा की जीत का सपना टूट गया. दुमका में हेमंत सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन ने लुईस मरांडी को पटखनी दे दी. वहीं बेरमों में राजेंद्र सिंह के पुत्र अनुप सिंह ने भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल को हरा दिया. इस दौरान कुछ माह बाद भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने के दीपक प्रकाश के दावे के विरोध में प्राथमिकी भी दर्ज हुई. दूसरी तरफ इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला और राजेश कच्छप के दिल्ली पहुंचने पर हेमंत सरकार डगमगाती दिखी. हालाकि कांग्रेस और झामुमो के वरिष्ठ नेताओं ने मामला संभाल लिया.
    बसंत सोरेन और कुमार जयमंगल सिंह के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
Last Updated : Dec 25, 2020, 8:02 AM IST

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