रांची: 20 मई के दिन पूरी दुनिया को मधुमक्खियों का महत्व और मानव जीवन में मधुमक्खियों के योगदान को बताने के लिए विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जा रहा है. 2017 में इंसानों को स्वस्थ रखने में मधुमक्खी की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति जागरूकता लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व मधुमक्खी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. तब से हर वर्ष पूरे विश्व में 20 मई को मधुमक्खियों के संरक्षण और संवर्धन के रूप में मनाया जाता है.
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झारखंड जैसे प्रदेश जहां जंगल बड़ी संख्या में विश्व मधुमक्खी दिवस का महत्व कुछ ज्यादा ही है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कीट विज्ञान विभाग के हेड डॉ मिलन चक्रवर्ती कहते हैं कि अरस्तू ने कहा था कि अगर मधुमक्खियां नहीं रहीं तो मानव जीवन भी नहीं बचेगा. ऐसा इसलिए कि भले ही आम लोग यह समझते हों कि मधुमक्खियां हमें सिर्फ शहद देती हैं. पर वास्तव में ऐसा नहीं है. डॉ मिलन कहते हैं कि उनके शोध के अनुसार जिस इलाके में मधुमखियां अच्छी संख्या में होती है वहां कृषि उत्पादन 15% तक बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि सरसों पर किया गया उनका प्रयोग यही बताता है. मधुमक्खियां सबसे बड़ा काम करती हैं जो कृषि के अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और वह है परागण. पूरी दुनिया में खाने की आपूर्ति का एक तिहाई भाग मधुमक्खियों द्वारा परागित होता है. सीधे शब्दों में कहें तो मधुमक्खियां पौधों और फसलों को जीवित रखती हैं. मधुमक्खियों के बिना, मनुष्यों के पास खाने के लिए बहुत कुछ नहीं बचेगा और इंसान खत्म हो जाएंगे.