रांची: कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिसवाले अपना घर परिवार छोड़ अपना फर्ज निभाने के लिए लगातर काम पर डटे हुए हैं. लॉकडाउन के दौरान महिला पुलिसकर्मी भी इस जंग में कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए मैदान में हैं. पुरुष प्रधान समाज में महिला पुलिसकर्मी भी लगातार अपना फर्ज निभाकर पुरुषों को चुनौती दे रही हैं.
पहले फर्ज, बाद में घर
कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाने के लिए इन दिनों महिला पुलिसकर्मी भी रांची के विभिन्न चौराहों पर कड़ी धूप में ड्यूटी करती नजर आ रही हैं. ड्यूटी के चलते कई महिला पुलिसकर्मियों के बच्चों के संभालने की जिम्मेदारी उनके सास-ससुर पति या फिर नाना-नानी के जिम्मे आ गई है, तो कइयों की दिनचर्या ही बदल गई है. घर का जरूरी काम निपटाकर कई महिला पुलिसकर्मी समय पर ड्यूटी करने पहुंच जाती हैं, तो कई महीनों से अपने घर ही नहीं गई हैं.
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कई दिनों से नहीं गईं घर
सच माने तो महिला पुलिसकर्मी इन दिनों दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं. ड्यूटी और परिवार के बीच संतुलन बैठाना हमेशा से महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक चुनौती रही है. लेकिन इस संक्रमण के दौरान यह चुनौती और बढ़ गई है. खासकर उन महिला पुलिसकर्मियों के लिए जिनके बच्चे रोज उनके आने की राह देखते हैं और मां को गले लगाना चाहते हैं. लेकिन अब वह चाहकर भी अपने बच्चे को गले लगाकर उन्हें प्यार नहीं कर सकती हैं. यहां तक कि उन्हें अपनी आंखों के तारे को आंखों से ही दूर करना पड़ा है, फिर भी वह बिना किसी शिकन के दिन रात ड्यूटी निभा रही हैं.
वाट्सअप कॉल बना सहारा
रांची के लालपुर थाने में तैनात कॉन्स्टेबल नीलम और पुष्पा लगातार ड्यूटी कर रही हैं. जहां पुष्पा हर रोज अपने घर लौट जाती हैं और दूर से ही अपने बच्चों से मिल लेती हैं. लेकिन नीलम पिछले 5 महीनों से घर नहीं गई हैं, उनके बच्चे उनसे दूर नाना-नानी के पास रहते हैं. इस संक्रमण के काल में वीडियो कॉल नीलम का सहारा बना हुआ है. नीलम हर रोज मौका मिलते ही अपने बच्चों से वीडियो कॉल के जरिए बात करती हैं. इस दौरान कई बार उनके आंखों से आंसू भी निकल आते हैं. लेकिन फिर वह यह सोच कर अपने आप को मजबूत बना लेती हैं कि वह फिलहाल अपने देश की सेवा में जुटी हुई हैं. उनका इस समय मुख्य काम लोगों को संक्रमण से बचाना है. नीलम कहती हैं कि उनके बच्चों का अभी फिलहाल ऑनलाइन क्लास चल रहा है. बच्चे जिद करते हैं कि मां 5 महीने से उनसे नहीं मिली है वह घर आ जाए. लेकिन एक तो संक्रमण काल में ड्यूटी और दूसरा एक शहर से दूसरे शहर जाने की परेशानी, इस वजह से नीलम बच्चों को वीडियो कॉल के जरिए ही समझा बुझाकर उन्हें शांत करवाती हैं.
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सुरक्षा का पूरा इंतजाम
राजधानी रांची के कई थानों में ऐसे महिला पुलिसकर्मी भी हैं जो लॉकडाउन के शुरुआत से लेकर अब तक अपने बच्चों से नहीं मिली हैं. रांची के लालपुर थाने सहित दूसरे कई थानों में तैनात महिला पुलिसकर्मी भी संक्रमण को देखते हुए अपने बच्चों और परिवार से दूर हैं. लालपुर थाने की 5 महिला कॉन्स्टेबल पूरे लॉकडाउन के दौरान अपने घर नहीं गई हैं. लालपुर थाना प्रभारी अरविंद सिंह बताते हैं कि अभी सभी पुलिसकर्मियों की ड्यूटी जिम्मेवारी भरी है. ऐसे में जो महिला पुलिसकर्मी अपने घर नहीं जा रही हैं उनके रहने खाने और सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है.
समय निकालकर घर का हाल चाल भी जानना जरुरी महिला पुलिसकर्मियों पर गर्व
रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता भी महिला पुलिसकर्मियों पर गर्व महसूस करते हैं. सीनियर एसपी अनीश गुप्ता के अनुसार, लॉकडाउन का पालन करवाने में जितना योगदान पुरुष पुलिसकर्मियों का है, उतना ही महिला पुलिसकर्मियों का भी है.
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रांची में 200 से अधिक महिला पुलिसकर्मी
रांची में फिलहाल 200 से अधिक महिला पुलिसकर्मी लॉकडाउन के दौरान अपना फर्ज निभा रही हैं. कई थानों में काम कर रही हैं, कई कंट्रोल रूम में तो कई तेज धूप में चौक चौराहों पर भी तैनात हैं. कठिन हालात में भी इनके चेहरे पर जरा भी शिकन नजर नहीं आती है. बच्चे और परिवार की दूरी भी इन महिला पुलिस वॉरियर्स को इनके से फर्ज डिगा नहीं पाते हैं. सभी बस उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब कोरोना का संक्रमण खत्म हो और वे अपने परिवार के बीच पहुंचे और अपने बच्चों को गले लगाकर उन्हें खूब सारा प्यार दें.