रांची: नौ दिनों की पूजा के बाद आज मां दुर्गे की विदाई का दिन है. लेकिन उससे पहले सिंदूर खेला का अपना अलग ही महत्व है. इसी मौके पर राजधानी के दुर्गा बाड़ी में बंगाली समुदाय की महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से एक दूसरे को सिंदूर लगाकर मां दुर्गा से अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना की.
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139 सालों से चली आ रही है परंपरा
राजधानी रांची के दुर्गा बाड़ी मंदिर में पिछले 139 सालों से मां भगवती की उपासना की जा रही है. यहां हरेक साल विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला किया जाता है. जिसमें बंगाली समुदाय की महिलाएं हिस्सा लेती हैं. ऐसा माना जाता है कि विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला में भाग लेने वाली महिलाओं की मनोकामना को मां दूर्गा पूर्ण करती हैं.
बेहतर कल के लिए मां से कामना
सिंदूर खेला में शामिल हुई महिला विभा चक्रवर्ती बताती हैं कि पिछले साल दुर्गा बाड़ी में कोरोना की वजह से पूजा नहीं हुई थी. लेकिन इस बार मां के आशीर्वाद से धूमधाम से पूजा संपन्न हुई है. उन्होंने बताया कि वे समाज की बेहतरी के लिए कामना कर रही हैं. विभा चक्रवर्ती के मुताबिक सिंदूर खेला में दूसरे समुदाय की महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. वहीं दूसरी महिला उमा चक्रवर्ती ने बताया कि मां दुर्गा की असीम कृपा से ही इस बार ये उत्सव सफल हुआ है. उन्होंने कहा कि सिंदूर खेला यहां की परंपरा है जो आगे के सालों में भी जारी रहेगी.
सांकेतिक रूप से मनाया गया सिंदूर खेला
सिंदूर खेला में भाग लेने पहुंची श्रद्धालु सोनम ने बताया कि इस रस्म में महिलाएं मां की प्रतिमा के पास रखे सिंदूर की पोटली से सिंदूर निकालकर एक दूसरे को लगाती हैं, लेकिन इस बार कोरोना गाइडलाइन के कारण सांकेतिक तरीके से इस परंपरा का निर्वहन किया गया. उन्होंने अगले साल धूमधाम से विजयादशमी मनाने की उम्मीद जाहिर की है.
मशहूर है दुर्गा बाड़ी का सिंदूर खेला
बता दें कि राजधानी के दुर्गा बाड़ी मंदिर का सिंदूर खेला काफी मशहूर है. यहां पर राजधानी ही नहीं बल्कि कई अन्य राज्यों से भी महिलाएं सिंदूर खेला में भाग लेने पहुंचती हैं.