रांची: सड़क किनारे देसी शराब बेचने वाली महिलाओं को रोजगार के नए अवसर से जोड़ने के लिए फूलो झानो आशीर्वाद अभियान (Phulo Jhano Ashirwad Campaign) की शुरुआत की गई है. इस अभियान को लेकर हर दिन सरकार अपनी पीठ थपथपाती है. सामाजिक बदलाव के कसीदे पढ़े जाते हैं. लेकिन सच यह है कि जिस रास्ते से सीएम सचिवालय जाते हैं, उसी रास्ते पर लगने वाले बाजार में महिलाएं आज भी शराब बेच रही हैं. इस अभियान की जानकारी से दूर ये महिलाएं आज भी पारंपरिक रूप से हड़िया तैयार कर इसे बेचती हैं.
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राजधानी रांची में खुलेआम दिनभर मयखाना सजता है. सरकार ने इन देसी मयखानों को रोकने के लिए अभियान भी चलाया. लेकिन इसका फलाफल कुछ भी नहीं निकला. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत हड़िया दारू बेचनेवाली ऐसी महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का दावा किया गया था. लेकिन सच्चाई यह है कि हड़िया दारू बेचकर जीवकोपार्जन करनेवाली महिलाओं को पता नहीं कि इस अभियान के तहत उन्हें कैसे लाभ मिलेगा.
शहीद मैदान के सामने लगती है कई देसी दारू की दुकान
राजधानी रांची के बीचोबीच सजता मधुशाला सरकार के अभियान की सच्चाई बताने के लिए काफी है. इन दुकानों को देखकर लगता है कि यह कोई हाट बाजार है. लेकिन हकीकत यह नहीं है, बल्कि यह देसी मयखाना है. धुर्वा शहीद मैदान के सामने दिनभर लगनेवाले इस देसी मयखाने में एक साथ सैकड़ों हड़िया दारू की दुकानें लगती है. जहां राजधानी में किसी काम से आनेवाले लोग उसमें पहुंचकर आनंद उठाते हैं. इस देसी मयखाने में अधिकांश महिलाएं हैं जो हड़िया दारू बेचती हैं. अवैध काम मानते हुए भी हड़िया दारू बेचनेवाली ये महिलाएं इसे जीवकोपार्जन से जोड़कर देखती हैं.
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