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जिस अभियान के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रही है सरकार, देखिए उसकी हकीकत

देसी शराब बेचने वाली महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने 29 सितंबर 2020 को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान (Phulo Jhano Ashirwad Campaign) की शुरुआत की थी. लेकिन आज भी जिस रास्ते से सीएम सचिवालय जाते हैं, उसी रास्ते पर महिलाएं हड़िया दारू बेच रही हैं. सरकार ने जिस उद्येश्य से इस अभियान की शुरुआत की है वो उद्येश्य पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है.

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Published : Sep 29, 2021, 5:14 PM IST

Updated : Sep 29, 2021, 8:21 PM IST

रांची: सड़क किनारे देसी शराब बेचने वाली महिलाओं को रोजगार के नए अवसर से जोड़ने के लिए फूलो झानो आशीर्वाद अभियान (Phulo Jhano Ashirwad Campaign) की शुरुआत की गई है. इस अभियान को लेकर हर दिन सरकार अपनी पीठ थपथपाती है. सामाजिक बदलाव के कसीदे पढ़े जाते हैं. लेकिन सच यह है कि जिस रास्ते से सीएम सचिवालय जाते हैं, उसी रास्ते पर लगने वाले बाजार में महिलाएं आज भी शराब बेच रही हैं. इस अभियान की जानकारी से दूर ये महिलाएं आज भी पारंपरिक रूप से हड़िया तैयार कर इसे बेचती हैं.

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राजधानी रांची में खुलेआम दिनभर मयखाना सजता है. सरकार ने इन देसी मयखानों को रोकने के लिए अभियान भी चलाया. लेकिन इसका फलाफल कुछ भी नहीं निकला. फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत हड़िया दारू बेचनेवाली ऐसी महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का दावा किया गया था. लेकिन सच्चाई यह है कि हड़िया दारू बेचकर जीवकोपार्जन करनेवाली महिलाओं को पता नहीं कि इस अभियान के तहत उन्हें कैसे लाभ मिलेगा.

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शहीद मैदान के सामने लगती है कई देसी दारू की दुकान

राजधानी रांची के बीचोबीच सजता मधुशाला सरकार के अभियान की सच्चाई बताने के लिए काफी है. इन दुकानों को देखकर लगता है कि यह कोई हाट बाजार है. लेकिन हकीकत यह नहीं है, बल्कि यह देसी मयखाना है. धुर्वा शहीद मैदान के सामने दिनभर लगनेवाले इस देसी मयखाने में एक साथ सैकड़ों हड़िया दारू की दुकानें लगती है. जहां राजधानी में किसी काम से आनेवाले लोग उसमें पहुंचकर आनंद उठाते हैं. इस देसी मयखाने में अधिकांश महिलाएं हैं जो हड़िया दारू बेचती हैं. अवैध काम मानते हुए भी हड़िया दारू बेचनेवाली ये महिलाएं इसे जीवकोपार्जन से जोड़कर देखती हैं.

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दिखावा बनकर रह गया फूलो झानो आशीर्वाद अभियान

राज्य सरकार ने हड़िया दारू बेचने के काम में लगी महिलाओं को दूसरे रोजगार से जोड़ने के लिए 29 सितंबर, 2020 को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान की शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अभियान की शुरुआत करते हुए हड़िया दारू बेचने वाली महिलाओं को अन्य रोजगार से जोड़ने की घोषणा की थी. अभियान की शुरुआत अच्छी रही. लेकिन बाद में यह फेल होते चला गया. राज्य सरकार द्वारा इस अभियान के तहत कराए गए सर्वेक्षण में राज्यभर में 16 हजार ऐसी महिला पाई गईं, जो सड़क किनारे हड़िया दारू बेचती हैं.

15440 महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का दावा

फूलो झानो आशीर्वाद अभियान के तहत 15440 महिलाओं को 10 हजार रुपया देकर अन्य रोजगार से जोड़ने का दावा किया जा रहा है. लेकिन स्थितियां उससे उलट है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम भी मानते हैं कि जहां पर महिला हड़िया बेचती थी, उस जगह पर फिर या तो लाभुक महिला के घर के लोग या अन्य लोग आकर फिर से हड़िया दारू बेचने लगे हैं. राज्य सरकार फिर से सर्वे कराकर ऐसे लोगों को फूलो झानो आशीर्वाद अभियान से जोड़ेगी. उन्होंने कहा कि कोई महिला चाय की दुकान चला रही हैं, तो कोई स्वयं सहायता समूह के माध्यम से काम कर रही हैं.

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अभियान के बारे महिला अनजान

फूलो झानो आशीर्वाद अभियान को लेकर राज्य आजीविका मिशन के द्वारा ना केवल जागरूकता अभियान, बल्कि महिलाओं को रोजगारोन्मुख बनाने का दावा किया गया है. लेकिन इन महिलाओं को अभियान का लाभ तो दूर इन्हें पता तक नहीं है कि इसके तहत उन्हें कैसे लाभ मिलेगा. जबकि सरकार ने जागरूकता फैलाने के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिए हैं.

Last Updated : Sep 29, 2021, 8:21 PM IST

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