रांची: झारखंड गठन के 19 साल बाद पहली बार चुनाव से पहले बने किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला है. पहली बार ऐसा हुआ कि झारखंड में एक तरफ भाजपा ने रघुवर दास के नेतृत्व में चुनाव लड़ा तो दूसरी तरफ महागठबंधन ने हेमंत सोरेन के नाम पर, लेकिन मैंडेट गया हेमंत सोरेन के पक्ष में.
2014 में 19 सीट जीतने वाली झामुमो के खाते में 30 सीट गई तो कांग्रेस ने 16 सीटों के साथ अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की. राजद को झारखंड की जनता ने उसके कद के हिसाब से 1 सीट दिया. अब सवाल है कि हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में कौन-कौन चेहरे शामिल हो सकते हैं?
81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 मंत्री ही हो सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, झामुमो सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है. इसलिए झामुमो के खाते में मुख्यमंत्री के अलावा पांच मंत्री जा सकते हैं. वहीं, कांग्रेस के खाते में पांच मंत्री और राजद के लिए एक. संभावना इस बात की भी है कि कांग्रेस चाहेगी कि स्पीकर की कुर्सी उसके पास रहे. यह फार्मूला सटीक भी बैठता है.
अब सवाल यह है कि हेमंत सोरेन किन पांच चेहरों को अपने मंत्रिमंडल में जगह दे सकते हैं. आमतौर पर मंत्रिमंडल की रूप रेखा तैयार करने में क्षेत्र, जाति और धर्म का भी ख्याल रखा जाता रहा है. झारखंड के पांच प्रमंडलों में झामुमो के परफॉर्मेंस को देखें तो कोल्हान में कांग्रेस के साथ मिलकर झामुमो ने क्लीनस्वीप किया है. इस लिहाज से इस क्षेत्र से कम से कम दो चेहरे हेमंत मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं.
कद और वरिष्ठता के हिसाब से चंपई सोरेन और महिला कोटे से जोबा मांझी की दावेदारी बनती है. वहीं, दूसरी तरफ बहरागोड़ा में कुणाल षाड़गी को हराने वाले समीर महंती को भी जगह मिल सकती है. क्योंकि कोल्हान क्षेत्र में उड़िया वोटरों का अच्छा खासा प्रभाव है. संथाल प्रमंडल के लिहाज से शिकारीपाड़ा से लगातार सातवीं बार जीत दर्ज करने वाले नलिन सोरेन के अलावा स्टीफन मरांडी को जगह मिलने की संभावना है.
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वहीं, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से डुमरी विधायक जगरनाथ महतो के अलावा टुंडी से मथुरा महतो की गुंजाइश दिख रही है. खास बात है कि दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के लिहाज से झामुमो ने गुमला में शानदार प्रदर्शन किया है. 2014 में भाजपा ने सिसई से विधायक रहे दिनेश उरांव को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. इसलिए संभव है कि दिनेश उरांव को हराने वाले जीगा होरो को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है.
अब सवाल है कि 16 सीटें जीतने वाली कांग्रेस किसको विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है. इसके साथ ही किन पांच विधायकों को मंत्री बना सकती है. इस बात की चर्चा है कि चुकी आलमगीर आलम पूर्व में विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं और विधानसभा नियुक्ति घोटाले में वह सवालों के घेरे में आए थे, लिहाजा वरिष्ठता के लिहाज से रामेश्वर उरांव को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है. इस बार कांग्रेस के कई युवा चेहरे चुनाव जीत कर आए हैं लिहाजा इस बात की चर्चा है कि पहली बार चुनाव जीतने वालों को मंत्रिमंडल में कतई शामिल नहीं किया जाएगा.
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जमशेदपुर पश्चिम से जीतने वाले बन्ना गुप्ता, पाकुड़ से चुनाव जीतने वाले आलमगीर आलम या जामताड़ा से चुनाव जीतने वाले इरफान अंसारी, मनिका से जीतने वाले रामचंद्र सिंह, बेरमो से चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह के अलावा बड़कागांव से चुनाव जीतने वाली सबसे कम उम्र के विधायक अंबा प्रसाद और रामगढ़ से चुनाव जीतने वाली ममता देवी इस रेस में शामिल हैं. रही बात राजद की तो उसके एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता का मंत्री बनना तय माना जा रहा है.