रांचीः महानवमी के अवसर पर झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों की पूजा अपने आप में अनोखी होती है. मां शक्ति के उपासक गोरखा जवान महानवमी के अवसर पर अपने हत्यारों की विशेष पूजा करते हैं. मान्यता है कि हथियारों की पूजा करने से वह कभी भी दुश्मनों के सामने धोखा नहीं देते हैं. महानवमी के अवसर पर गोरखा जवान मां के चरणों में हथियारों को अर्पण तो करते ही हैं साथ ही मां को फायरिंग कर सलामी भी देते हैं.
महानवमी पर होता है विशेष पूजाःमहानवमी के अवसर पर जैप के जवानों के द्वारा मां के चरणों में 101 बलि दी जाती है. हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी दी जाती है. इस बटालियन में बलि और हथियारों की पूजा का अपना एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों में रख कर पूजा करते हैं. मां के चरणों में बलि देते हैं, गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है कि दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा ना दे और सटीक चले इसलिए वे मां दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते हैं.
शक्ति के उपासक गोरखा जवानों की अनोखी पूजा, फायरिंग कर देते हैं मां को सलामी
रांची में जैप जवान अनोखे ढंग से दुर्गा पूजा करते हैं. यहां गोरखा जवान शस्त्रों की पूजा करते हैं. फायरिंग कर माता को सलामी दी जाती है. मान्यता है कि इस पूजा से उनके हथियार कभी धोखा नहीं देते
इसलिए वे हर पूजा में मां दुर्गा को बलि अर्पित करते हैं और उनके सम्मान में गोलिया चालते हैं. जैप वन के पुजारी सहदेव उपाध्याय के अनुसार 1880 से पूर्व में कुछ दिनों तक मां शक्ति की पूजा गोरखा समाज के द्वारा नहीं की गई थी. इसकी वजह से मां नाराज हो गई थी और कई अनिष्ट हुए थे. लेकिन उसके बाद लगातार मां शक्ति की आराधना विशेष विधि से की जा रही है और तब से लेकर अब तक कभी भी कोई भी अनिष्ट गोरखा जवानों के साथ नहीं हुआ है.
नव कन्या के पूजन के बाद बलिःनवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के बाद से ही झारखंड आर्म्ड फोर्स यानी जैप के जवान मां की भक्ति में लीन हो जाते हैं. महानवमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा होती है. सबसे पहले मां के रूप में उपस्थित नौ कन्या का पूजन किया जाता है. यहां विशेष तौर पर पूजा में गोरखा जवानों के अलावा झारखंड आर्म्ड फोर्स के कमांडेंट वाई एस रमेश भी मौजूद थे. जैप वन के कमांडेंट रमेश ने बताया कि पुरातन काल से ही गोरखा समाज में शक्ति पूजा की परंपरा चली आ रही है. जिसका निर्वाहन वह आज भी कर रहे हैं और उसी की तर्ज पर महानवमी के अवसर पर गोरखा जवानों ने मां शक्ति की उपासना आज भी की है.
गोरखा जवानों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा है. शायद यही वजह है कि चाहे नक्सलियों से लोहा लेने की बात हो या फिर वीआईपी सुरक्षा, हर कोई गोरखा जवानों पर भरोसा करता है तो वहीं दूसरी तरफ गोरखा जवान मां शक्ति पर पूर्ण रूप से भरोसा करते हैं. यही वजह है कि 1880 से इस फोर्स को सबसे विश्वसनीय रक्षक के रूप में देखा जाता है.