झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

SPECIAL: स्पर्श और सहयोग के बिना कैसे कटेगी इनकी जिंदगी, कोरोना ने छीना सहारा - झारखंड में कोरोना ने बदली नेत्रहीन की जिंदगी

कोरोना महामारी के कारण नेत्रहीन लोगों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि झारखंड के डेढ़ लाख से अधिक दृष्टिहीन लोगों की जिंदगी स्पर्श और सहारे से ही तो चल रहा था. उनके लिए स्पर्श और सहारा ही दो आंखों के बराबर है, लेकिन कोरोना महामारी ने उनकी यह दो आंखें भी छीन ली है

blind people disturbed due to corona in Ranchi, corona changed life of blind people, corona news in Jharkhand, Trouble for blind people due to corona, रांची में कोरोना के कारण नेत्रहीन परेशान, झारखंड में कोरोना ने बदली नेत्रहीन की जिंदगी, झारखंड में कोरोना की खबरें
डिजाइन इमेज

By

Published : Jun 7, 2020, 7:03 AM IST

रांची: इस कोरोना महामारी ने लोगों की जिंदगी ही बदल कर रख दी है. कई लोगों की जिंदगी का उजाला छीन लिया है. जिनके जीवन में पहले से ही अंधेरा था उन्हें भी नहीं छोड़ा गया है. दरअसल नेत्रहीन लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है स्पर्श और सहयोग. स्पर्श के सहारे ही उनकी जिंदगी चलती है. लेकिन ऐसे लाखों लोग हैं जो कोरोना वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और चिंतित भी हैं.

देखें पूरी खबर
स्पर्श और सहारा ही दो आंखों के बराबरझारखंड के डेढ़ लाख से अधिक दृष्टिहीन लोगों की जिंदगी स्पर्श और सहारे से ही तो चल रहा था. उनके लिए स्पर्श और सहारा ही दो आंखों के बराबर है. लेकिन कोरोना महामारी ने उनकी यह दो आंखें भी छीन ली है. कोरोना वायरस के कारण ऐसे दृष्टिहीन लोगों के सहयोग के लिए अब हाथ भी आगे नहीं बढ़ रहे हैं. मदद तो दूर की बात लोग एक दूसरे को स्पर्श करने से डर रहे हैं. ऐसे में परेशानी ऐसे दृष्टिहीन लोगों के लिए बढ़ गई है, जो कभी अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए नेत्रहीन को सड़क पार कर दिया करता था. आज उसके लिए हिचकिचाहट है, डर है और घबराहट भी.
दिव्यांगों को हो रही दिक्कत

ये भी पढ़ें-सिमडेगा में मिले 30 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज, कुल संख्या पहुंची 64

वैकल्पिक रास्ता अपनाने की जरूरत

यह सौ फीसदी सही है कि कोरोना स्पर्श से ही फैलता है. पर नेत्रहीनों की जिंदगी तो स्पर्श और सहयोग से ही चलता है. ऐसे में बिना स्पर्श किए यह दृष्टिहीन कैसे अपनी जिंदगी बिताएंगे. यह सबसे बड़ा सवाल है. अब न तो कोई हाथ पकड़ने वाला है, न ही राह दिखाने वाला. सरकार को ऐसे लोगों के मदद के लिए आगे आने की जरूरत है. किसी हद तक वैकल्पिक रास्ता भी अपनाने की जरूरत है.


ईटीवी भारत की टीम ने कई नेत्रहीन शख्सियत से की बातचीत
ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड के आईकॉनिक नेत्रहीन ऐसे ही शख्सियत से बात की है. उन्होंने भी यह माना है कि आम नेत्रहीन के लिए एक बड़ी समस्या होगी. आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो सकती है. लोगों को सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए ऐसे लोगों का ध्यान रखने की जरूरत है. साथ ही सहयोग की भी आवश्यकता है. भारतीय डिसेबल क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मुकेश कंचन की माने तो सिर्फ नेत्रहीन ही नहीं बल्कि दिव्यांग जनों के लिए भी अभी का दौर बड़ा ही मुश्किल भरा है. एक से दूसरे जगह पहुंचने के लिए इन दिव्यांगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

कोरोना महामारी के कारण नहीं मिलता सहारा

ये भी पढ़ें-रांची: प्रेम नगर में 180 लोगों को मिलेगा 1 BHK फ्लैट, 10 जून को मेयर आशा लकड़ा कराएंगी गृह प्रवेश

सबसे बुरा दौर

वहीं, इंडियन ब्लाइंड क्रिकेट टीम के धुरंधर बॉलर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्लेयर गोलू कुमार ने भी इस मामले में चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि हम जैसे लोगों का सहयोग करना होगा. लोगों को जागरूक होना होगा. इसी मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन करने वाली नेत्रहीन छात्रा अंजली कुमारी से भी बातचीत की, जो फिलहाल आरयू से एमए की पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने भी कहा कि यह दौर हम जैसे लोगों के लिए और बुरा होगा.


कल्याण विभाग की ओर से संचालित हो रही हैं कई योजनाएं
हालांकि, राज्य सरकार के कल्याण विभाग की ओर से ऐसे दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आने वाले और बीपीएल वर्ग के ऐसे दो लाख दिव्यांगजन हैं जिन्हें प्रतिमाह 1000 रुपए सहायता राशि दी जा रही है. निषाक्तता आयुक्त सतीश चंद्र और दिव्यांगता राज्य सलाहकार बोर्ड की माने तो सरकारी नौकरी में भी 4 प्रतिशत आरक्षण दिव्यांगों के लिए है. वहीं शिक्षा जगत में भी 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है और भी कई योजनाएं दृष्टिहीन के साथ-साथ अन्य वर्ग के दिव्यांगों के लिए संचालित हो रही है. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इनके लिए सबसे बड़ी योजना सहयोग, सहायता और मदद ही है. तब जाकर ऐसे लोग समाज के साथ आम जनों से मिलकर आगे बढ़ पाएंगे.

कोरोना काल में परेशान हैं दिव्यांग

ये भी पढ़ें-राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज, मंत्री और राज्यसभा सांसद ने किया जीत का दावा


ये है कल्याण विभाग निदेशालय का आंकड़ा
कल्याण विभाग के दिव्यांगों के लिए बनी निदेशालय के आंकड़ों की बात करें तो राज्य भर में कुल दिव्यांगों की संख्या 5 लाख रेखांकित किए गए हैं. हालांकि आंकड़े जन्म दर के अनुसार बढ़ रहे हैं. इनमें नेत्रहीन दिव्यांग एक लाख 20 हजार से एक लाख 50 हजार तक के बीच हैं. इनकम टैक्स के दायरे में और बीपीएल कार्ड धारी दिव्यांगों को निदेशालय की ओर से 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन दिया जा रहा है और इस योजना का लाभ दो लाख दिव्यांग ले रहे हैं. इनमें नेत्रहीन भी शामिल है और इस पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए भी दृष्टिहीन व्यक्तियों को किसी का सहयोग लेना पड़ता है और आने वाले समय में यह भी एक समस्या के रूप में सामने आएगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details