रांचीः झारखंड में अंधविश्वास की जड़ें समाजिक ताने-बाने में इतनी गहराई तक समा चुकी हैं कि अब लोग महिलाओं की हत्या करने से भी नहीं हिचकिचाते. यहां अंधविश्वास के नाम पर मारपीट, धमकी और सामाजिक बहिष्कार तो आम बात है. बीते एक सप्ताह के दौरान गढ़वा, पलामू और देवघर में कुल 3 मामले सामने आए हैं, जिसमें महिलाओं को डायन बताकर दरिंदगी की इंतेहा की गई है.
गढ़वा में हैवानियत
गढ़वा थाना के नारायणपुर गांव में गुरुवार को दो लड़कियां भूत लगने का नाटक करने लगीं और गांव की तीन महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाने लगी. ग्रामीणों ने पंचायत बुलाई और सभी के मोबाइल जब्त कर लिए. इसके बाद नशे में धुत लोगों ने तीन महिलाओं को घसीटते हुए भीड़ के बीच लाया. लोगों ने महिलाओं को नंगा कर नचाने का प्रयास किया और जब महिलाओं ने इससे इंकार किया को बेरहमी से पिटाई शुरू कर दी. भीड़ में शामिल हैवान महिलाओं की आंख फोड़कर हत्या करना चाहते थे. तभी गढ़वा थाना प्रभारी राजीव कुमार सिंह दलबल के साथ मौके पर पहुंचे तो तमाशबीन वहां से फरार हो गए. पुलिस ने घायल महिलाओं को हॉस्पिटल पहुंचाया. अगले दिन डीसी और एसपी मेडिकल टीम के साथ गांव पहुंचे और न्याय का भरोसा दिलाया. एसपी श्रीकांत एस खोटरे ने ईटीवी भारत को बताया कि इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी 30 आरोपियों को भी 2-3 दिनों में पकड़ लिया जाएगा.
बरेवा में बेदम पिटाई से बेहोश
अभी गढ़वा का मामला थमा भी नहीं था कि पलामू में भी घटना हो गई. पलामू जिले के हैदरनगर थाना क्षेत्र के बरेवा निवासी सत्येंद्र पाल ने तीन लोगों के खिलाफ मारपीट और प्रताड़ना की शिकायत की है. सत्येंद्र के अनुसार शुक्रवार दोपहर खेत से लौटने के दौरान गांव के ही एक व्यक्ति सीताराम पाल ने उसे बुलाया. सीताराम ने कहा कि तुम्हारी मां डायन है और उसने छोटू पाल को बीमार कर रखा है. इसके बाद छोटू पाल, अवधेश पाल और उसकी पत्नी पिंटू पाल ने घर में घुसकर मां के साथ बेरहमी से मारपीट की. महिला के बेहोश होने पर आरोपी वहां से भाग निकले. महिला को हैदरनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के बाद मेदिनीनगर रेफर कर दिया गया हैं. थाना प्रभारी सुरेंद्र प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है.