रांची: किसी भी चुनाव के वक्त सभी पार्टियों को गठबंधन के तहत सीट शेयरिंट का फॉर्मूला बिठाने और प्रत्याशियों के नाम घोषित करने में सबसे ज्यादा दिक्कत आती है. झारखंड में भी ऐसा ही हो रहा है. एक तरफ कई दिनों के उतार चढ़ाव के बाद झामुमो, कांग्रेस और राजद ने गठबंधन का फॉर्मूला तो सेट कर लिया, लेकिन भाजपा और आजसू के बीच गठबंधन नाजुक मोड़ पर पहुंचा है.
'स्टैंड से पीछे नहीं हटेंगे'
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटेंगे. लिहाजा, अब भाजपा को तय करना है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होगा या नहीं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह से बातचीत के दौरान सुदेश महतो ने कहा कि उनकी पार्टी ने भाजपा के शीर्ष नेताओं को पहले की स्पष्ट कर दिया था कि जिस पार्टी का जिस सीट पर जनाधार है उसे वहां जगह मिलनी चाहिए. लेकिन भाजपा आयातित नेताओं के जरिए उन सीटों पर दावे ठोक रही है.
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'जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पर खरा उतरना है'
उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए उनकी पार्टी ने पक्ष और विपक्ष दोनों की भूमिका निभायी है. क्योंकि जब भी सरकार का कोई काम ठीक रहा तो आजसू ने समर्थन दिया और जब सरकार के कुछ फैसले गलत हुए तो पार्टी ने विपक्ष की भूमिका निभाई. सुदेश महतो ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमारा मकसद सिर्फ जनादेश लेना नहीं है, बल्कि जनता की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पर खरा भी उतरना है.
रिजनली आपको आना पड़ेगा: सुदेश
भाजपा और आजसू के बीच सीट शेयरिंग के साथ-साथ मेनिफेस्टो का भी मामला फंसा है. आजसू का स्पष्ट मानना है कि बिहार में रहते हुए जब झारखंड की रूपरेखा तैयार हुई थी तब क्षेत्र के हित के हिसाब से साझा कार्यक्रम चलाए जा रहे थे. लिहाजा, दोनों दलों की जिम्मेवारी है कि यहां के स्थानीय जरूरतों के हिसाब से ही साझा मेनिफेस्टो बने.