रांची: आदि दर्शन पर रामदयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्ज इंस्टीट्यूट और कल्याण विभाग की ओर से ऑड्रे हाउस में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार का आज दूसरा दिन रहा. यहां अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 19 जनवरी तक चलेगा. इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में देश-विदेश के डेलीगेट्स ने हिस्सा लिया है.
आदि दर्शन सेमिनार
स्विट्जरलैंड से भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर आदि दर्शन सेमिनार में पहुंचे राफेलो उसेलो ने कहा कि यूरोप में किसी भी जनजाति की कोई विशेष पहचान नहीं है. कुछ समुदाय हैं जो भारतीय रूप से अल्पसंख्यक हैं. उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी है, लेकिन भाषाई और राजनीतिक रूप से उनको पहचान की जरूरत है.
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'आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है'
राफेलो उसेलो ने कहा कि वे सामाजिक मानवशास्त्र के स्टूडेंट हैं. उन्हें आदिवासियों के बारे में पढ़ना जानना अच्छा लगता है. इसके लिए भारत के जनजातीय समाज को चुना है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनजातियों से जुड़े कई किताबें उन्होंने भी पढ़ी है. ट्राइबल फिलॉसफी पर रांची में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के जरिए अलग-अलग आदिवासी समुदाय के बारे में जानने को मिला.
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पूरे देश में चर्चा
वहीं, एशिया फिजिक्स इंडिजिनियस यूथ फिलीपींस की अध्यक्ष मीनाक्षी मुंडा ने कहा कि ट्राइबल फिलॉसफी आदि दर्शन पर ज्यादा काम नहीं हुआ है. ऐसे में झारखंड इसकी पहल कर रहा है, यह बहुत बड़ी बात है. उन्होंने कहा कि आदिवासी दर्शन को लेकर पूरे देश में चर्चा होनी शुरू हो गई है.