रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ सरयू राय के तरकश से निकलने वाले तीर सीएम समेत पार्टी को गहरे घाव दे सकती हैं. पूर्वी जमशेदपुर इलाके से निर्दलीय, मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे राय भ्रष्टाचार और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं. सिलसिलेवार ढंग से अगर देखें तो ऐसे मुद्दों को लेकर उन्होंने सरकार से लेकर पार्टी नेतृत्व को भी अवगत कराया है.
क्या होगी उनके स्ट्रेटजी
अपना विधानसभा इलाका छोड़कर मुख्यमंत्री दास के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के बाद राय ने जो स्ट्रेटजी बनाई है. इसके तहत उन सभी शस्त्रों और अस्त्रों का उपयोग करेंगे जो अब तक पत्र के माध्यम से करते आए हैं. सबसे पहले मैनहर्ट कंसल्टेंसी का मामला उठ सकता है, जिसमें मौजूदा मुख्यमंत्री और तत्कालीन शहरी विकास मंत्री के ऊपर उंगलियां उठी है.
दरअसल, इस कंसल्टेंसी कंपनी को नियमों के विपरीत जाकर भुगतान करने का दावा किया गया है और झारखंड विधानसभा की कमेटी ने भी इस मामले में सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं. उसके अलावा पथ निर्माण विभाग, जनसंपर्क विभाग और उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग से जुड़े मामले को लेकर भी राय मुख्यमंत्री को घेरने के मूड में है. इसके साथ ही राय ने बड़ी स्ट्रेटजी जमशेदपुर पूर्व विधानसभा में कथित तौर पर एक परिवार के आतंक से मुक्ति दिलाने का नारा दिया है. इसको लेकर भी लोग उनके पक्ष में गोलबंद हो रहे हैं.
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क्या इंपैक्ट पड़ सकता है राय के अभियान का
दरअसल, सरयू राय के चुनाव प्रचार के दौरान यह बात सामने आ रही है कि जमशेदपुर पूर्वी में बिहारी आबादी बड़ी संख्या में है. सूत्रों के अनुसार 80 हजार से अधिक लोग बिहार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कनेक्टेड हैं. उनमें राय का कुनबा बढना मुश्किल नहीं है. इसके अलावा प्रदेश की धनबाद और बोकारो जैसी विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी द्वारा राय को टिकट नहीं दिए जाने को लेकर कथित तौर पर एक खास जाति के लोगों में इसको लेकर आक्रोश भी माना जा रहा है.