रांचीः सातवें वेतनमान की पेंशन को लेकर राज्य के विविध विश्वविद्यालयों के रिटायर्ड शिक्षक अरसे से आंदोलनरत हैं. अपनी इस मांग को लेकर इन शिक्षकों ने हमेशा ही सदन से सड़क तक अपनी आवाज बुलंद करने की हरसंभव कोशिश की है, लेकिन अब इन शिक्षकों को फिलहाल सातवें वेतनमान के आधार पर पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा. इससे एक बार फिर शिक्षकों में आक्रोश है.
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सात विश्वविद्यालय के रिटायर्ड शिक्षक हैं प्रभावित
गौरतलब है कि रांची विश्वविद्यालय के अलावा, डीएसपीएमयू , विनोबा भावे विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय और नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के लगभग 2400 शिक्षकों के लिए विभाग की ओर से सातवें वेतनमान के तहत नई पेंशन देने को लेकर एक आकलन किया गया था. इस आकलन में पाया गया था कि इन्हें नए वेतनमान के तहत पेंशन देने के लिए 22 करोड़ रुपये का भार सरकार पर पड़ेगा.
पांचवें वेतनमान की पेंशन भी बकाया
बताते चलें कि ऐसे शिक्षकों को अब तक पांचवें वेतनमान के तहत भी पेंशन नहीं मिली है. हालांकि छठे वेतनमान के आधार पर कुछ बकाया का भुगतान हो चुका है. सातवें वेतनमान के तहत पेंशन देने पर फैसला अभी तक नहीं लिया गया है. मामले को लेकर विश्वविद्यालय पूर्व शिक्षक एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि शिक्षकों का वेतन भुगतान के साथ-साथ बकाया पेंशन राशि भी अब तक नहीं मिली है और इस वजह से सातवें वेतनमान के तहत पेंशन का भुगतान न होने से प्रति शिक्षक को लगभग 3 लाख रुपये तक का नुकसान हो रहा है.
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वर्तमान शिक्षकों के अलावा 2016 के बाद रिटायर शिक्षकों को मिल रहा है लाभ
इसके उलट विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षक सहित 2016 के बाद के रिटायर्ड हुए शिक्षकों को इसका लाभ मिल रहा हैं, लेकिन 2,400 शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें पेंशन से वंचित करके रखा गया है. नए वेतनमान के तहत उन्हें पेंशन दी ही नहीं जा रही है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एक प्रस्ताव भी इसे लेकर तैयार किया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उस प्रस्ताव को वित्त विभाग के पास भेजेंगे उसके बाद ही इस विषय पर कुछ निर्णय लिया जा सकेगा.
नहीं मिली नए वेतनमान के तहत पेंशन
इन शिक्षकों का कहना है कि ऐसे कई शिक्षक हैं जो नए वेतनमान पर पेंशन की आस लिए अपने कई काम अधूरे छोड़कर इस दुनिया से चले गए, लेकिन अब तक सरकार की ओर से इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी, जबकि मामले को लेकर कुलाधिपति राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत हर किसी का दरवाजा इन शिक्षकों ने खटखटाया है.