रांचीः राज्य के सिपाहियों वर्षों से लंबित एमएसीपी लाभ देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य के पुलिस प्रमुख डीजीपी को समय से एमसीपी लाभ देने का निर्देश दिया है. अदालत ने 18 नवंबर से पूर्व यह लाभ देने का निर्देश दिया है. ऐसा ना करने पर उन्हें कोर्ट में हाजिर होकर यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं लाभ दिया गया. इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.
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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य के सिपाहियों को समय से एमएसीबी का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जिससे उन्हें वित्तीय घाटा होता है. इसलिए उन्होंने अदालत से गुहार लगाई उन्हें समय से यह लाभ दिया जाए. इसके लिए राज्य के पुलिस प्रमुख को राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए.
अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता से मामले में जानकारी मांगी. जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से जो जानकारी दी गई, उससे अदालत को संतुष्ट नहीं हुए. डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह 18 नवंबर से पूर्व दिए जाने वाले वित्तीय लाभ पर निर्णय लें, आदेश पारित करें, अगर आदेश पारित नहीं की जाती है तो अगले सुनवाई के दौरान वो अदालत में हाजिर होकर यह बताएं कि किस परिस्थिति में यह लाभ नहीं दिया जा सका.
झारखंड पुलिस में से एसोसिएशन की ओर से एमसीपी मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि राज्य के सिपाहियों को प्रत्येक 10 वर्ष पर एमएसीपी का लाभ दिया जाता है. लेकिन पुलिस विभाग ने प्रशिक्षण का बहाना बनाकर उन्हें इस लाभ से वंचित रखा जा रहा है. उनका कहना है कि प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जान-बूझकर देर से दिया जाता है, जबकि प्रशिक्षण दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें सिपाहियों की कोई गलती नहीं है. अगर समय से प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है तो इसमें सिपाहियों की कोई गलती नहीं है. इसलिए उन्हें किसी भी लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता है.