रांची: झारखंड के विश्वविद्यालय और अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत घंटी आधारित सहायक प्रधानाध्यापकों ने कहा कि स्थाई शिक्षकों के समान ही हम लोगों से काम लिया जाता है. इसके बावजूद हमारा मानदेय घंटी आधारित है. हमारा वर्क लोड तो स्थानीय शिक्षकों के समान है, लेकिन हमारा वेतन घंटी पर आधारित है.
इसके साथ ही सीबीसीएस पाठ्यक्रम के तहत अधिकांश समय परीक्षा आयोजित होना और विश्वविद्यालय के ग्रीष्मकालीन, दुर्गा पूजा से छठ पूजा का अवकाश शरदकालीन अवकाश और दूसरे अवकाश में मानदेय नहीं मिलता है. घंटी आधारित होने के कारण मासिक मानदेय में भारी असमानता होती है. प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा ने बताया कि अपनी समस्याओं से उन्होंने मुख्यमंत्री, कुलपति और शिक्षा मंत्री तक को अवगत कराया है, लेकिन आज तक हमारा निश्चित मानसिक मानदेय निर्धारित नहीं हो सका.