रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के मकसद से बनाए गए कोरोना सहायता ऐप पोस्ट-कोरोना अभियान में भी काफी सहायक साबित होगा.
लॉकडाउन टू के बाद बनाए गए इस एप में देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों से अपना रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की गई है. जिसके बाद उन्हें राज्य सरकार आर्थिक मदद पहुंचा सकेगी. इस काम में लगे अधिकारियों का कहना है कि इस एप से मिले डाटा की असली भूमिका तब नजर आएगी जब लॉकडाउन टूटेगा. वैसी परिस्थिति में यह प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटेंगे और राज्य सरकार के लिए इन तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा.
लगभग 7 लाख लोगों का डाटा बेस होगा रेडी
दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार यह दोहरा रहे हैं कि झारखंड को असली समस्या तब झेलनी होगी जब लोग लॉकडाउन के बाद लोग वापस लौट आएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि झारखंड से बाहर काम करने गए मजदूरों की संख्या सबसे अधिक महाराष्ट्र में हैं. जहां कोरोना वायरस का मैक्सिमम असर देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी झारखंड से गए मजदूर फंसे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या लगभग 7 लाख है. हालांकि राज्य सरकार इन्हें मदद पहुंचाने के लिए हर प्रयास कर रही है, लेकिन अभी सबसे बड़ी चुनौती इन की मेडिकल जांच को लेकर है. झारखंड की भौगोलिक अवस्था ऐसी है कि यह पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और ओडिशा से सटा हुआ है. उनमें चार ऐसे राज्य हैं जहां कोरोना पॉजिटिव की संख्या अच्छी है.