रांचीः झारखंड में कांग्रेस की राजनीति(Congress politics in Jharkhand) हमेशा डगमगाती ही रहती है. कांग्रेस आलाकमान की स्थिति यह हो गई है कि वह एक चीज सुधारते हैं तो दूसरी चीज बिगड़ जाती है. कांग्रेस में जिस तरह के हालात बने हैं, उसमें संगठन से लेकर सरकार तक समन्वय का अभाव है (Lack of coordination in Jharkhand Congress). इसका सबसे बड़ा उदाहरण पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के तीन विधायक कैश के साथ पकड़े गए (jharkhand congress leaders arrested in west bengal) तो कहा गया कि कांग्रेसियों को तोड़ने का काम किया जा रहा था. एक दूसरे विधायक ने थाने में एफआईआर दर्ज करके अपनी बात भी रख दी कि उन्हें भी पैसे का प्रलोभन दिया गया था, लेकिन बड़ा सवाल यही रहा कि जब उन्हें पैसे का प्रलोभन दिया गया तब उन्होंने थाने को जानकारी नहीं दी और जब पश्चिम बंगाल में नेताओं की गिरफ्तारी(jharkhand congress leaders arrested in west bengal) हो गई तब उन्होंने थाने में जाकर के जानकारी दी. यह बात सीधे इसी चीज को तस्दीक करती है कि कांग्रेस में छिपाने के लिए अलग और बताने के लिए अलग शब्द रखे हुए हैं.
झारखंड सरकार में कांग्रेस की स्थिति (Congress position in Jharkhand government) क्या है, यह कांग्रेस के नेता भी बेहतर तरीके से जानते हैं. यह अलग बात है कि राजनीति में बताया कुछ जाता है होता कुछ है. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और अध्यक्ष दोनों दिल्ली में हैं. हालांकि कांग्रेस के नेता इस बात का खंडन कर रहे हैं कि वह कांग्रेस के आलाकमान से इसलिए मिलने गए हैं कि झारखंड में चल रही सरकार के साथ समन्वय में किसी तरह की दिक्कत है. बल्कि बढ़ती महंगाई पर चिंता करने के लिए दिल्ली गए हुए हैं. लेकिन चिंतन कांग्रेस इस विषय का जरूर कर रही है कि जिस तरह की बातें झारखंड में उठ जा रही हैं उसकी बड़ी वजह क्या है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि उनकी समझ से यह बात परे हो गई है कि रांची में इस बात की अफवाह फैला कौन रहा है कि कांग्रेस के नेताओं को रांची में रहने का निर्देश दिया गया है. इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के नेताओं को कितनी चीजों की जानकारी रहती है और कितनी चीजों की वह जानकारी देना चाहते हैं