रांचीः साल 2021 के पूरे होने में महज कुछ ही दिन शेष हैं. 2020 की ही तरह इस वर्ष भी झारखंड सहित देश दुनिया में कोरोना का कोहराम जारी रहा. साल 2021 के शुरुआती महीनों में कोरोना की आई दूसरी लहर ने झारखंड को झकझोर कर रख दिया. पहले दौर की अपेक्षा दूसरे चरण में कोरोना संक्रमण से ना केवल ज्यादा लोग प्रभावित हुए बल्कि असमय काल के गाल में भी समा गए. आज भी कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को लेकर झारखंड सशंकित है. इन विपदाओं के बीच झारखंड सरकार द्वारा उठाए गए कई कदम विशेष रुप से सुर्खियों में रही जिसके कारण ना केवल राजनीतिक चर्चाएं चलती रहीं बल्कि कई मौकों पर सरकार सदन के अंदर और बाहर विरोधियों से घिरती नजर आई.
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वर्ष 2021 का वो मुद्दा जो खासा चर्चा में रहा
साल 2021 में झारखंड कोरोना की दूसरे लहर में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और वैक्सीनेशन के मुद्दे पर सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर टकराव हुआ. इसके लिए जेपीएससी सातवीं से दसवीं सिविल सेवा पीटी परीक्षा में लगातार छात्रों का सफल घोषित होने के अलावा आयोग द्वारा बगैर ओएमआर शीट जांचे इन परीक्षार्थियों के रिजल्ट घोषित करने को स्वीकार करना. विरोध में छात्रों के अलावा विपक्ष सदन के बाहर और अंदर सरकार को इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हुए घेरती रही.
इसके अलावा साहिबगंज थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत खूब चर्चा में रही. इस मुद्दे ने ना सिर्फ राजनीतिक सुर्खियां बटोरी बल्कि कानूनी लड़ाई के बाद इस मामले पर सीबीआई जांच शुरू हुई. इसके साथ ही विधानसभा में नमाज कक्ष आवंटन राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रही. विपक्षी दल बीजेपी स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ जमकर हंगामा मचाते दिखे. बाद में विधानसभा में इसको लेकर कमिटी गठित की गई. 2021 में झारखंड की राजनीतिक हलचल में कई मुद्दों पर विधानसभा में हंगामा होता रहा. नेता प्रतिपक्ष को लेकर सदन में बीजेपी लगातार मशक्कत करती रही. बीजेपी की मांग पर सदन में हंगामा होता रहा. पंचम विधानसभा गठन के दो वर्ष होने के बाबजूद अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चयन राजनीतिक दांव पेंच और कानूनी लड़ाई में लटका हुआ है. भाषाई विवाद में इस वर्ष हेमंत सरकार फंसी रही. विपक्ष लगातार कई क्षेत्रीय भाषाओं को मैट्रिक इंटर स्तरीय और राज्यस्तरीय परीक्षा से बाहर किये जाने के कारण सरकार को घेरती नजर आई. 2021 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा रोजगार वर्ष घोषित किए जाने के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया की धीमी रफ्तार पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव होता देखा गया. डीवीसी द्वारा बिजली बकाया राशि मद के पैसे को काटे जाने पर राज्य सरकार और केंद्र के बीच जमकर टकराव हुई. यह मुद्दा राजनीतिक सुर्खियां भी खासा बटोरने में सफल रहा.
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झारखंड के सियासी घटनाक्रम में सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने की मांग को लेकर सर्वदलीय सहमति बनती दिखी. केंद्र सरकार पर इसको लेकर दवाब बनाने की कोशिश होती रही. वहीं ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण की मांग सुर्खियों में रहा. सामाजिक संगठनों के अलावा भाजपा और कांग्रेस द्वारा इसकी मांग की जाती रही. इसके साथ ही प्रदेश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में इजाफा भी खासी सुर्खियों में रही. पेट्रोल डीजल के दाम इस वर्ष पहली बार 100 पार किया. इसपर जमकर राजनीति हुई. केंद्र ने टैक्स घटाया मगर राज्य सरकार इसपर चुप्पी साधकर भाजपा को हमला करने का मौका दे दिया.
झारखंड में राजनीतिक बयानबाजी और सियासी दांवपेंच के बीच साल 2021 कई खट्टे मीठे यादों के बीच अपना सफर पूरा कर रहा है. इन सब यादों को समेटे हेमंत सरकार जहां अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में इसे उत्सव के रुप में मनाने में जुटी है. दूसरी तरफ झारखंड की जनता नए वर्ष 2022 को इस उम्मीद के साथ स्वागत करने को तैयार है कि ना केवल कोरोना जैसी महामारी से निजात मिलेगी बल्कि नए वर्ष में जीवकोपार्जन के लिए भी कई नए द्वार खुलेंगे.