रांचीः झारखंड में नक्सलियों के अर्थ तंत्र पर ब्रेक लगाने की रणनीति के तहत काम कर रही है. झारखंड पुलिस के अधिकारी यह जानते हैं कि जब तक नक्सलियों के अर्थ तंत्र को नेस्तनाबूद नहीं किया जाएगा, तब तक झारखंड से नक्सलियों का सफाया होना नामुमकिन है.
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इसके लिए अब झारखंड पुलिस, ईडी और एनआईए के सहयोग से नक्सलियों के अर्थ तंत्र पर बड़ा प्रहार करने की तैयारी में है. पुलिस मुख्यालय ने दो दर्जन से अधिक नक्सलियों की संपत्ति की जानकारी जुटाई है. इसमें से कई माओवादियों की संपत्ति यूएपीए एक्ट के तहत राज्य पुलिस ने जब्त भी की है. लेकिन राज्य पुलिस मुख्यालय ने अब प्रिवेंशन आफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट (Prevention of Money Laundering Act) के तहत कार्रवाई के लिए दो दर्जन से अधिक माओवादियों पर कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार किया है. जिन उग्रवादियों की संपति पूर्व में जब्त की गई है, उनके खिलाफ मनी लाउंड्रिंग का मामला भी दर्ज किया जाएगा.
लगतार किया जा रहा है नक्सल अर्थ तंत्र पर वार
राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों ने नक्सलियों-उग्रवादियों के विरुद्ध खौफ के बल से बनाई गई चल-अचल संपत्तियों पर पिछले पांच साल के भीतर कई बड़ी कार्रवाई की गई है, अब तक उनकी अरबों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है. एनआईए और ईडी के अलावा झारखंड पुलिस ने भी राज्य के 34 नक्सलियों-उग्रवादियों की करोड़ों की संपत्ति जब्त कर चुकी है. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सलियों-उग्रवादियों ने खौफ के बल पर जो संपत्ति कमाई है, उनकी लिस्ट तैयार कर उसे जब्त करने की कार्रवाई लगातार जारी है और वो आगे भी जारी रहेगा.
भाकपा माओवादी
इस संगठन के 14 नक्सलियों की संपत्ति जब्त की गई है. इनमें एक रिजनल कमांडर, एक जोनल कमांडर, पांच सब जोनल कमांडर, एक एरिया कमांडर और पांच सदस्य शामिल हैं. ढाई साल में इनकी 83.53 एकड़ भूमि, जिसकी कीमत 73 लाख 62 हजार 800 रुपया है, जब्त की गई है. इतना ही नहीं, इनके आठ भवन भी सील किए गए हैं, जिसकी कीमत एक करोड़, 96 लाख 19 हजार 443 रुपया है. इसके अलावा कुल 473.9 ग्राम सोना, 56 लाख 71 हजार 316 रुपया कैश और छह लाख की गाड़ी भी जब्त की जा चुकी है.
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पीएलएफआई
उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के चार उग्रवादियों की संपत्ति जब्त की गई है. इनमें एक जोनल कमांडर, दो सब-जोनल कमांडर और एक सदस्य शामिल है. इनकी 2.15 एकड़ भूमि, दो भवन, जिसकी कीमत चार लाख 36 हजार रुपया है, आठ गाड़ियां और एक लाख 73 हजार 893 रुपया कैश जब्त किया गया हैं.
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टीएसपीसी
उग्रवादी संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी के 17 उग्रवादियों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है. इनमें चार रिजनल कमांडर, एक सब-जोनल कमांडर, तीन जोनल कमांडर, एक एरिया कमांडर और सात सदस्यों की संपत्ति शामिल है. इनकी 123 एकड़ भूमि, आठ बिल्डिंग, जिसकी कीमत चार करोड़ 19 लाख 354 रुपया है, साथ में 26 वाहन और 41 लाख 14 हजार रुपया नकद जब्त किया गया है.
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शीर्ष उग्रवादियों पर एनआईए का कसता शिकंजा
झारखंड में भाकपा माओवादी संगठन के शीर्ष उग्रवादियों के खिलाफ एनआईए ने भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. एनआईए के रडार पर झारखंड सरकार की ओर से एक करोड़ के घोषित ईनामी और माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के प्रमुख प्रशांत बोस, सेंट्रल कमिटी मेंबर पतिराम मांझी, जोनल कमांडर रवींद्र गंझू, महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा जैसे बड़े माओवादी शामिल है.
कई नक्सल कांडों की जांच कर रही एनआईए
राज्य में एनआईए कई नक्सल कांडों की जांच कर रही है. पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड में एनआईए को प्रशांत बोस जैसे बड़े उग्रवादी की तलाश है. वहीं लांजी पहाड़ हमला, सरायकेला-खरसांवा कुकरूहाट कांड, लुकईयामोड़ कांड, गिरिडीह में हथियार और पैसे की बरामदगी के मामले, चतरा में टीपीसी उग्रवादियों की ओर से कमिटी बनाकर कोल परियोजनाओ से वसूली, नोटबंदी के बाद भाकपा माओवादियों और पीएलएफआई के पास से नोट बरामदगी, पीएलएफआई टेरर फंडिंग जैसे कई मामलों में जांच जारी है. एनआईए की ओर से राज्य में अभी आधा दर्जन केस टेकओवर करने की भी प्रक्रिया चालू है.
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लेवी की रकम से कर रहे हैं कारोबार
पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार लेवी की रकम से नक्सली लाखों-करोड़ों रुपये की संपत्ति खड़ी कर चुके हैं. वह अपने परिजनों के माध्यम से कई उद्योग और कारोबार में भी पैसे निवेश कर रहे हैं. उनके आलीशान मकान और महंगे रहन-सहन की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 16 फरवरी 2018 को चतरा के टंडवा में उग्रवादियों की ओर से कमिटी बनाकर की जा रही लेवी वसूली मामले का अनुसंधान शुरू किया था.
एनआईए ने गृह विभाग को बताया है कि चतरा जिला के टंडवा थाना में 11 जनवरी 2016 नक्सल और आर्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आरोप था कि क्षेत्र में सीसीएल की आम्रपाली और मगध कोयला परियोजना में उग्रवादी संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी के सहयोग से एक स्थानीय ग्रुप ठेकेदार, ट्रांसपोर्टर और व्यवसायियों से लेवी वसूलता है. इनमें टीएसपीसी के गोपाल सिंह भोक्ता उर्फ ब्रजेश गंझू, मुकेश गंझू, कोहराम, आक्रमण उर्फ रवींद्र गंझू, अनिश्चय गंझू, भीखन गंझू, दीपू सिंह उर्फ भीखन तथा बिंदू गंझू को आरोपित किया गया था.
police-ed-nia-damaged-financial-source-of-naxalites-in-jharkhand इसके बाद छापेमारी में 11 जनवरी 2016 को चतरा जिला के टंडवा स्थित मसिलांग गांव निवासी एक उग्रवादी विनोद कुमार गंझू के घर से लेवी के 91 लाख 75 हजार 890 रुपया नकद बरामद किया गया था. विनोद कुमार गंझू मगध ऑपरेटिंग कमिटी का अध्यक्ष था.
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कोल परियोजनाओं से वसूली पर ईडी कस रहा शिकंजा
झारखंड पुलिस और एनआईए नक्सलियों उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई तो कर ही रही है, दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी भी लगातार उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. इसी साल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मगध-आम्रपाली कोल परियोजना से टेरर फंडिंग के अर्जित पैसे की मनी लाउंड्रिंग को लेकर बड़ी कार्रवाई की है.
ईडी ने टीपीसी के उग्रवादी विनोद कुमार गंझू और उसकी कंपनी भोक्ता कंस्ट्रक्शन, प्रदीप राम और उसकी कंपनी प्रदीप ट्रेडर्स, बिंदेश्वर गंझू उर्फ बिंदू गंझू और उसके फर्म मेसर्स मां गंगे कोल ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ रांची स्थित ईडी कोर्ट में अभियोजन शिकायत दायर कर दिया है. ईडी ने बताया है कि उग्रवादी संगठन के सदस्यों ने कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टर्स, आउटसोर्सिंग कंपनियों, ठेकेदारों से करोड़ों की वसूली की.
नई लिस्ट भी सौंपी गई
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर के अनुसार नक्सलियों के अर्थ तंत्र को ध्वस्त करने के लिए लगातार केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर झारखंड पुलिस काम कर रही है. अब तक 34 बड़े से लेकर छोटे नक्सलियों की संपत्ति जब की जा चुकी है. वहीं एक दर्जन से ज्यादा नक्सलियों के संपत्ति के बारे में जानकारी इकट्ठा की गई है. संपत्ति का ब्यौरा तैयार कर केंद्रीय एजेंसियों को दिया गया है ताकि आगे की कार्रवाई की जाए. आईजी अभियान के अनुसार लगातार संपत्ति जब्त किए जाने की वजह से कई बड़े नक्सली आत्मसमर्पण भी कर चुके हैं वहीं कई नक्सली आत्मसमर्पण करने की तैयारी में है.