झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

झारखंड में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए PhD अनिवार्य, अभ्यर्थी इस रेगुलेशन से नहीं हैं संतुष्ट - झारखंड पीएचडी न्यूज

झारखंड में अब किसी भी विश्वविद्यालय या कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी अनिवार्य कर दिया गया है. हालांकि अभ्यर्थी इससे संतुष्ट नहीं हैं. जबकि राज्यपाल की ओर से संबंधित रेगुलेशन पर अपनी मुहर लगा दी गई है.

phd-mandatory-to-become-an-assistant-professor-in-jharkhand
रांची विश्वविद्यालय

By

Published : Aug 16, 2021, 2:01 PM IST

रांची: असिस्टेंट प्रोफेसर की सीधी नियुक्ति के लिए झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पीएचडी अब अनिवार्य कर दिया गया है. इससे संबंधित रेगुलेशन को राज्यपाल ने अपनी मुहर लगा दी है. हालांकि इसका विरोध भी हो रहा है. वर्तमान में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर इस रेगुलेशन को इस राज्य के लिए सही नहीं ठहरा रहे हैं. इससे संबंधित अधिसूचना जारी होने के बाद रिक्तियों के आधार पर शुरू होने वाली नियुक्ति प्रक्रिया में यह नियम लागू कर दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें-खुशखबरी! ई-कल्याण पोर्टल पर 30 सितंबर तक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन दे सकते हैं छात्र, पढ़ें रिपोर्ट


आवश्यक किया गया पीएचडी

नेट पास अभ्यर्थियों को भी पीएचडी की डिग्री हासिल करनी होगी. राज्य सरकार का तर्क है कि असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर में प्रोन्नति के लिए पीएचडी आवश्यक होगा. इसके अलावा शैक्षणिक गतिविधियां एनएसएस, एनसीसी, कल्चरल, सामाजिक कार्य में नेतृत्व, प्रशासनिक पदों पर कार्य, परीक्षा से संबंधित कार्य, शोध निर्देशन जैसे अहर्ता भी जोड़े जाएंगे. अभ्यर्थी प्रोन्नति के लिए शिक्षक का सेमिनार, सिंपोजियम व्याख्या में सहभागिता यूजीसी द्वारा स्वयं रिसर्च कम्युनिकेशन मैटेरियल तैयार करना शोध पत्र का जर्नल बुक में प्रकाशन करना शैक्षणिक अनुभव को भी शामिल किया जाएगा.

देखें पूरी खबर
इस रेगुलेशन से अभ्यर्थी नहीं हैं संतुष्ट

हालांकि इस रेगुलेशन से अभ्यर्थी और वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफेसर में नियुक्त शिक्षक संतुष्ट नहीं हैं. उनकी माने तो इस राज्य में न तो सही तरीके से रिसर्च की व्यवस्था है और न ही सुविधा है. कई विभागों में शिक्षकों की घोर कमी है और इसे लेकर कोई पहल भी नहीं हो रही है. जबकि पीएचडी करने के लिए रिसर्च आवश्यक है. रिसर्च कराने के लिए शिक्षक है ही नहीं और अगर सुविधाएं नहीं होंगी तो इस तरीके का रेगुलेशन बनाने से इस राज्य में कोई फायदा नहीं होगा. इस मामले को लेकर एक बार फिर उच्च शिक्षा विभाग को सोचने की जरूरत है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details