रांची: लोकसभा चुनाव में आम जनता की बुनियादी समस्याओं का मुद्दा पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया. लोगों का मानना है कि आम जनता की रोजमर्रा से जुड़ी समस्याओं को मुद्दा ना बनाकर राजनीतिक दल सिर्फ सत्ता में आसीन होने के लिए जनता को भटकाने में लगी है. जबकि आम जनता के लिए स्वच्छता का मुद्दा सबसे अहम है.
लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के बीच जहां आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. सत्तारूढ़ बीजेपी राष्ट्रवाद के मुद्दे को सामने रखकर चुनावी मैदान में उतरी है तो वहीं सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने न्यूनतम आय योजना को जनता के लिए सबसे अहम बताते हुए वोट मांगा है. वहीं राज्य के क्षेत्रीय दल का चुनाव में मुख्य मुद्दा बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है. लेकिन इन सब से अलग किसी को जनता से जुड़े बुनियादी जरूरतों और समस्याओं के निदान की फिक्र नहीं है. यही वजह है कि किसी भी राजनीतिक दल ने इस चुनाव में स्वच्छता के मुद्दे को प्रमुखता से जनता के बीच नहीं रखा है.
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रांची की अगर बात करें तो यहां स्वच्छता के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. क्योंकि नगर निगम स्वच्छता के मामले में करोड़ों रुपए खर्च का आंकड़ा हमेशा पेश करता आया है. लेकिन हकीकत इससे परे है. राजधानी के गली मोहल्लों में कचरे का अंबार इसे साफ बयां कर रहा है. ऐसे में राजधानी के स्थानीय लोगों की माने तो किसी भी राजनीतिक दल ने इस चुनाव में स्वच्छता को मुद्दे के रूप में सामने नहीं रखा है.
स्थानीय राजेश कुमार का मानना है कि आम आदमी के लिए स्वच्छता सबसे ज्यादा जरूरी है. वहीं स्थानीय राहुल मिश्रा कहते हैं कि केंद्र सरकार जिस ओर लोगो को मोड़ना चाहती है. उस ओर मोड़ देती है.लेकिन आम लोगों की बुनियादी सुविधाएं की ओर पिछले 5 सालों से ध्यान तक नहीं दिया गया है. वहीं स्थानीय चितरंजन कुमार ने कहा कि स्वच्छता की मांग लगातार आम जनता करती आई है. लेकिन किसी भी दल ने इससे चुनावी मुद्दा नहीं बनाया है. उमंग सुल्तान की माने तो ना ही किसी राजनीतिक दल ने स्वच्छता पर फोकस किया और ना ही सरकार ही इस पर गंभीर है.