रांची: देश में अन्नदाताओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. खेतों में पसीना बहाने के बाद भी इनके हिस्से जादातर मामलों में मायूसी ही हाथ लगती है. कभी मौसम की बेरुखी, कभी खराब बीज, कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा. इन शब्दों के जाल में ही फंसा रहता है किसान.
दिन रात मेहनत के बाद जब फसल बेचने की बारी आती है तो मुनाफा के नाम पर मुट्ठी बंद ही रह जाती है, यही वजह है कि आज के ज्यादातर युवा अपनी परंपरागत खेती बाड़ी का काम छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि खेती में सिर्फ नुकसान ही हुआ है. मुनाफा संभव है लेकिन इसके लिए तरीका बदलना होगा.
इसके लिए रांची के ओरमांझी में रहने वाले किसान श्यामसुंदर बेदिया से सीखने की जरूरत है. खेती में नुकसान के बाद श्याम सुंदर ने प्राइवेट नौकरी पकड़ ली थी. इसी बीच उन्हें सरकार की तरफ से इजराइल जाने का मौका मिला. जिसके बाद उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट आ गया.
इजराइल से प्रभावित होकर श्याम सुंदर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया और आज वह पूरे इलाके में मिसाल बने हुए हैं. इनके पास पुश्तैनी खेत बहुत कम थी. लिहाजा अपने रिश्तेदारों के खाली पड़ी जमीन को लीज पर लिया और आज 13 एकड़ में नगदी फसल उगा रहे हैं.
फिलहाल श्याम सुंदर, आधुनिक तरीके से केला, बैगन, करेला, भिंडी के साथ-साथ फूलों में गुलाब, गेंदा और जरबेरा फूल की खेती कर रहे हैं. इनके खेतों में करीब 15 लोग काम भी करते हैं. सब खर्चा निकालने के बाद साल में इनकी कमाई 10 से 12 लाख रूपय होती है.
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श्याम सुंदर ने बताया कि उस इलाके में खेती का ट्रेंड बदल दिया है. ओरमांझी और अनगड़ा इलाके में घूम-घूम कर किसानों को यह बताते हैं कि उन्हें किस फसल की खेती कब और कैसे करनी चाहिए. श्यामसुंदर इस बात पर फोकस करते हैं कि पूरे इलाके के किसान किसी एक ही फसल की खेती न करें. क्योंकि एक ही फसल की भरमार होगी तो उसका वाजिब बाजार मूल्य नहीं मिलेगा.