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पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती आज, CM हेमंत सोरेन सहित कई नेताओं ने किया नमन - पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती आज

सीएम हेमंत सोरेन ने महान शिक्षाविद, पूर्व सासंद और लोक कलाकार पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती पर उन्हें नमन किया. झारखंड का नाम रोशन करने वाले रामदयाल मुंडा को आज पूरा झारखंड याद कर रहा है.

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डॉ. रामदयाल मुंडा

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Published : Aug 23, 2021, 12:41 PM IST

रांची:शिक्षक, कलाकार, लेखक, कवि, आंदोलनकारी और राजनेता पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की आज जयंती है. तमाड़ के दिउड़ी गांव में जो रांची से महज 60 किलोमीटर दूर है उसी सुदूरवर्ती गांव में 23 अगस्त 1939 को रामदयाल मुंडा का जन्म हुआ था. आज सीएम हेमंत सोरेन समेत कई नेताओं ने पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा को उनकी जयंती पर नमन किया. सीएम ने ट्वीट कर लिखा कि विश्व पटल पर उन्होंने आदिवासी संस्कृति को मुखर किया. ‘सेन गी सुसुन, काजी गी दुरंग, डूरी गी दुमंग- आदिवासियों का चलना ही नृत्य, बोलना ही गीत और शरीर ही मांदर है’ को उन्होंने चरितार्थ किया था.

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वहीं, पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती पर केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध साहित्यकार पदमश्री डॉ रामदयाल मुंडा की जयंती पर कोटि-कोटि नमन.

सीएम हेमंत सोरेन ने नमन किया

अर्जुन मुंडा ने दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ट्वीट कर कहा कि 'भारत के एक प्रमुख बौद्धिक और सांस्कृतिक शख्सियत पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती पर उन्हें शत शत नमन'.

अर्जुन मुंडा ने किया ट्वीट


बाबूलाल मरांडी नेदी श्रद्धांजलि

वहीं, बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने भी ट्वीट कर कहा- कि 'झारखंड की समृद्ध संस्कृति एवं लोक कला को वैश्विक पटल पर उचित सम्मान दिलाने वाले पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा की जयंती पर कोटि-कोटि नमन'.

बाबूलाल मरांडी ने दी श्रद्धांजलि

पाइका नाच को विश्वस्तरीय पहचान दिलाई

बता दें कि डॉ. रामदयाल मुंडा ने झारखंड की आदिवासी लोक कला, विशेषकर पाइका नाच को विश्वस्तरीय पहचान दिलाई है. वो अंतरराष्ट्रीय स्तर के भाषाविद्, समाजशास्त्री और आदिवासी बुद्धिजीवी और साहित्यकार के साथ-साथ एक अप्रतिम आदिवासी कलाकार भी थे. उन्होंने मुंडारी, नागपुरी, पंचपरगनिया, हिंदी, अंग्रेजी में गीत-कविताओं के अलावा गद्य साहित्य को भी रचा है. उनकी संगीत रचनाएं बहुत लोकप्रिय हुई हैं. विश्व आदिवासी दिवस मनाने की परंपरा शुरू करने में डॉ. मुंडा का अहम योगदान रहा है.

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