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लापरवाही से बढ़ सकता है कोरोना संक्रमण, जानिए झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग कोरोना से ग्रसित मरीजों के इलाज के लिए कोरोना सेंटर में विशेष व्यवस्था की हुई है. साथ ही साथ यह भी प्रयास किया जा रहा है कि संक्रमण का फैलाव कम से कम हो. कोविड-19 के संक्रमण को रोकने में सबसे ज्यादा यह मायने रखता है कि कोरोना मरीजों के इलाज में हो रहे मेडिकल वेस्ट का डिस्पोज सही तरीके से किया जाये.

biomedical waste plants in jharkhand
राज्य में सिर्फ चार बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट

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Published : Apr 17, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Apr 17, 2020, 6:53 PM IST

रांची: बायो वेस्ट मैनेजमेंट के गाइडलाइन के अनुसार कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को जलाने या फिर हाइड्रोक्लोरिक एसिड में अच्छी तरह से धोए जाने की बात कही गई है. इसको लेकर रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ देवेश कुमार बताते हैं कि कोविड-19 जैसे खतरनाक वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने में यह ख्याल रखा जाता है कि उनके इलाज में उपयोग होने वाली चीजें जैसे सिरिंज, ग्लब्स, पीपीई किट आदि वेस्ट मटेरियल को बायोमेडिकल मैनेजमेंट के मानकों के आधार पर ही डिस्पोज किया जाये.

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वहीं रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया कि रिम्स परिसर में बने बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट में ही कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज किया जा रहा है और यह ध्यान रखा जा रहा है कि इसमें किसी तरह की कोई लापरवाही न बरती जाए. कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को सही तरीके से डिस्पोज करना भी उतना ही जरूरी है जितना कि कोविड-19 के वायरस से दूर रहना.

झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

रिम्स प्रबंधन की लापरवाही

इसे लेकर ज्यादा जानकारी लेने की कोशिश की तो विश्वसनीय सूत्रों से यह भी जानकारी मिली कि रिम्स प्रबंधन की लापरवाही के कारण कई बार करोना सेंटर में लगे बिस्तर को भी अच्छी तरह से सैनिटाइज नहीं किया जा रहा है जो कि निश्चित रूप से संक्रमण के बढ़ावे को आमंत्रण दे सकता है.

झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

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वहीं, सदर अस्पताल की बात करें तो सदर अस्पताल में आज भी मेडिकल वेस्ट को ऐसे ही अस्पताल परिसर के एक कोने में फेंका जा रहा है जो निश्चित ही खतरनाक है. आपको बता दें कि प्रदूषण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में चार जगहों पर बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने की व्यवस्था मौजूद है जहां पर मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए प्लांट लगा हुआ है.

झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

चार जिलों में है बायोमेडिकल प्लांट

रामगढ़ में बायो जेनेटिक मेडिकल वेस्ट प्लांट लगाया गया है.

लोहरदगा में मेडी केयर एनवायरमेंटल मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड प्लांट है.

धनबाद में बायो जेनेटिक का ही दूसरा ब्रांच बनाया गया है जहां मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने की व्यवस्था है.

झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

जमशेदपुर के आदित्यपुर में भी बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट है जहां पर राज्य के विभिन्न जिलों के हॉस्पिटल में हुए मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज किया जाता है.

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वहीं, राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने की अपनी व्यवस्था मौजूद है. रिम्स अस्पताल में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए इनसीनेटर लगा हुआ है जहां उच्च तापमान पर कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को जलाकर डिस्पोज किया जाता है.

झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

निजी और सरकारी अस्पतालों को निर्देश

आपको बता दें कि राज्य में मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए प्रदूषण विभाग ने सभी जिले के सिविल सर्जनों को आदेश जारी किया है कि कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट तक सही तरीके से विशेष वाहन के माध्यम से ही भेजने का काम करें ताकि संक्रमण का खतरा ना बढ़े. फिलहाल राज्य के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को विशेष दिशा निर्देश दिया गया है कि कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए राज्य में बने बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट में ही डिस्पोज करें.

झारखंड में कैसे होता है कोविड-19 मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल

अब ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि एक तरफ कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर राज्य में मात्र 4 बायोमेडिकल वेस्ट प्लांट के भरोसे ही कोविड-19 के मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने की बात कही जा रही है, जो कहीं ना कहीं आने वाले समय में एक बड़ी समस्या बन सकती है.

Last Updated : Apr 17, 2020, 6:53 PM IST

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