रांची: प्रदेश से राज्यसभा में बीजेपी के सांसद महेश पोद्दार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कोरोना संकट की वजह से बदली सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और सामने आई चुनौतियों का सामना करने के लिए लघु और मध्यम उद्योगों को संरक्षण देने का आग्रह किया है. पोद्दार ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन और अन्य प्रदेशों से लौटे प्रवासी श्रमिकों को नियोजित करने के उद्देश्य से शुरू की गई नई योजनाएं, संभव है कि दीर्घकाल में बेहतर नतीजे दे. लेकिन तात्कालिक चुनौती से निपटने में राज्य के लघु उद्योग ही सहायक हो सकते हैं. राज्य सरकार को उद्योग-व्यापार जगत के प्रतिनिधियों से इन विषयों पर विमर्श कर ठोस पहल करनी चाहिए.
'आग लगने पर कुएं की खुदाई शुरू करने के बजाए दमकल बुलाना ज्यादा बेहतर होता है'
सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि आग लगने पर कुएं की खुदाई शुरू करने के बजाए दमकल बुलाना ज्यादा बेहतर होता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 9 लाख प्रवासी श्रमिकों के रोजगार की चिंता में 5 वर्षों में 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से मनरेगा के 25 करोड़ मानव दिवस सृजित करने की तैयारी में है. इस योजना से मजदूरों में प्रतिवर्ष 4,000 करोड़ यानि प्रतिमाह 333 करोड़ रुपए बटेंगे.
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'औसतन 5,000 प्रतिमाह प्रवासी मजदूर अपने घरों को यानि झारखंड को भेजते हैं'
राज्य में मनरेगा पर पहले से आश्रित राज्य के श्रमिकों को छोड़ केवल प्रवासियों को ही देखें तो प्रति श्रमिक, प्रति माह करीब 3,700 रुपए का हिसाब बैठता है, जिसे कतई काफी नहीं माना जा सकता. सच्चाई यह है कि इससे करीब डेढ़ गुना यानि औसतन 5,000 रुपए प्रतिमाह प्रवासी मजदूरों की ओर से अपने घरों को यानि झारखंड को भेजी जाती है. इस तरह सामान्य दिनों में प्रवासी मजदूरों की वजह से करीब 450 करोड़ रुपए झारखंड में आते हैं.