झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

कबाड़ को बनाया रोजगार का जुगाड़! एमबीए की पढ़ाई कर कचरा बेच रहे हैं शुभम - रांची में एमबीए छात्र शुभम ऑनलाइन कूड़ा बेचते हैं

जुगाड़, भारत में ये बहुत चर्चित है. इसके जरिए सीमित संसाधन में काफी कुछ किया जा सकता है. एमबीए पढ़कर शुभम ने कबाड़ को रोजगार का साधन बनाकर कुछ ऐसा ही किया है. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए कबाड़ से उनके जुगाड़ की पूरी कहानी.

mba-student-shubham-made-junk-a-means-of-employment-in-ranchi
शुभम कुमार जयसवाल

By

Published : Oct 26, 2021, 3:39 PM IST

Updated : Oct 26, 2021, 9:21 PM IST

रांचीः कहते हैं अगर इंसान में जुनून और जज्बा हो तो वह मिट्टी को भी सोना बना सकता. कुछ ऐसा ही कर दिखाया झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुमला के रहने वाले शुभम कुमार जयसवाल ने. जिसने कबाड़ को आमदनी और रोजगार का बड़ा साधन बनाया.

इसे भी पढ़ें- मैट्रिक फेल मजदूर ने बनाई कमाल की मशीन, पड़ोसी गांव के किसान भी दे रहे ऑर्डर

वर्ष 2014 में एमबीए की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने नौकरी लेने का प्रयास किया ताकि वह अपना जीवन यापन भी अच्छी तरीके से कर सके. लेकिन डिग्री रहने के बावजूद भी उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिली, हुनर और काबिलियत तो है पर बड़ी कंपनियों को इसकी कद्र नहीं की. आजकल ज्यादातर कंपनियां सिर्फ शोषण कर रही हैं. निजी कंपनियों की ओर से ज्यादा से ज्यादा काम लिया जाता है और उनकी काबिलियत को चंद पैसे में खरीद लिया जाता है.

देखें पूरी खबर
गुमला के शुभम जयसवाल को यही बात पसंद नहीं आई और उन्होंने ठान लिया कि अब वह एमबीए की डिग्री लेकर स्वरोजगार की शुरुआत कर अपने राज्य और समाज के लोगों का उत्थान करेंगे. शुभम जयसवाल बताते हैं कि एमबीए की डिग्री करने के बाद उन्होंने भी नौकरी करने का प्रयास किया पर नौकरी नहीं मिली. आज की तारीख में सरकार के लिए नौकरी उपलब्ध कराना बहुत ही मुश्किल है और निजी कंपनियां में जल्दी नौकरी नहीं मिल पाती है. इसी को देखते हुए उन्होंने खुद का स्वरोजगार करने की मन में ठान ली.एक दिन अपने रोजगार की शुरुआत करने को लेकर शुभम जयसवाल विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी कबाड़ी रिक्शावाला से मुलाकात हुई. उन्होंने उनसे बात की और फिर उसी वक्त उन्होंने मन बना लिया कि अब एमबीए कर कबाड़ी के खरीद-बिक्री का ही काम करना है और इसी व्यापार को आगे बढ़ाना है.

इसे भी पढ़ें- BMW कार से ढोया जा रहा कचरा, जानिए क्या है पूरा माजरा


उन्होंने अपने कुछ मित्रों को साथ लेकर इस व्यापार की शुरुआत कर दी जिसमें उन्होंने एक kabadi.com कर वेबसाइट बनाया. जिसके माध्यम से लोग घर बैठे ही अपने घरों का कूड़े और कबाड़ी बेच सकते हैं. Kabadi.com को अपने स्मार्टफोन पर प्ले स्टोर से डाउनलोड करे फिर उस ऐप पर जाकर अपने घर के सभी कबाड़ी को बेचने के लिए संपर्क करें. इससे लोगों को कबाड़ी वाले के आने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब लोग जैसे ही kabadi.com को सूचित करेंगे इस कंपनी के लोग सीधे ग्राहक के घर पर पहुंचेंगे और उनके घर के कबाड़ी को उचित मूल्य पर लेकर चले जाएंगे.

शुभम बताते हैं कि 5 वर्ष पहले जब इस व्यापार की शुरुआत की थी तो उस वक्त उन्हें काफी नुकसान सहना पड़ रहा था. काम में जुड़े लोगों को अपनी जमा पूंजी निकालकर सैलरी देनी पड़ रही थी. लेकिन धीरे-धीरे यह ऐप राजधानी रांची के लोगों के घरों तक पहुंचता चला गया और फिर व्यापार में भी मुनाफा होता चला गया. Kabadi.com के ऑफिस में काम कर रही लड़कियां बताती हैं कि पिछले 4 वर्षों से इस संस्था में काम कर रही है. शुरुआत के दिनों में जब वह लोगों को बताती थी कि उनका काम कबाड़ी के समान का खरीदना और बेचना है लोग उन्हें नीची निगाह से देखते थे. लेकिन जब धीरे-धीरे इस व्यापार को बढ़ावा मिलने लगा तो अब लोग भी इज्जत की नजर से देखते हैं.

Kabadi.com के संस्थापक शुभम जयसवाल बताते हैं कि इस व्यापार में सफलता मिलने के बाद हम आज के युवाओं को यही संदेश देंगे कि अपनी सोच को बदलें और किसी भी काम को छोटा या बड़ा ना समझे. शुभम बताते हैं कि लोग अगर अपनी सोच को बड़ा रखेंगे तभी कुछ बेहतर कर पाएंगे. आज के युवाओं और अभिभावकों के मन में यह सोच उत्पन्न हो गई है कि पढ़-लिखकर ऐसी ऑफिस में बैठना ही सफलता का मानक है. लेकिन असल में सफल व्यक्ति वही है जो अपनी पढ़ाई के ज्ञान से दूसरों को भी लाभान्वित कर सके.

इसे भी पढ़ें- मशीनरी कचरा से पलता है पेटः लोहे के टुकड़े से मिलती है दो वक्त की रोटी


Kabadi.com से लाभान्वित हो रहे स्थानीय लोगों ने भी कहा कि आज की तारीख में सभी चीज डिजिटलाइज हो गई है. लोग चाहते हैं कि घर बैठे ही उन्हें सभी सुविधा मिल जाए. ऐसे में अगर घर बैठे ही घर का कबाड़ बिक जाए तो यह निश्चित रूप से लोगों के फायदा है. आज की तारीख में शुभम जयसवाल वैसे युवाओं के लिए एक मिसाल हैं जो नौकरी ना मिलने की वजह से हताश होकर गलत कदम उठा रहे हैं.

Last Updated : Oct 26, 2021, 9:21 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details