रांची:किसी भी राज्य के लिए उसकी पुलिस फोर्स सबसे अहम होती है, लेकिन झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां ट्रांसफर पोस्टिंग में हो रही अनियमितता की वजह से अजब-गजब की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ट्रेनिंग के बाद अमूमन एक साथ आईपीएस अधिकारियों को एसपी रैंक में पदोन्नति देकर अलग-अलग विंग या जिलों में पोस्टिंग दी जाती है. लेकिन इन मामलों में झारखंड एक अनोखा राज्य है यहां कई आईपीएस अधिकारियों को पोस्टिंग मिलने में देरी की वजह से वेतन के लिए महीनों इंतजार करना पड़ा. तो कई ऐसे भी आईपीएस अधिकारी हैं जिनके कई साथी जिला संभाल रहे थे, लेकिन उन्हें काफी लंबे समय तक डीएसपी रैंक में काम करना पड़ा.
तीन आईपीएस पांच माह से बिना वेतन
झारखंड पुलिस के तीन आईपीएस अधिकारियों से विभागीय कामकाज लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है. देवघर से हटाने के बाद अश्वनी सिन्हा और सरायकेला से हटाए जाने के बाद मोहम्मद अर्शी को 15 जून से अब तक वेतन नहीं मिल पाया है. वहीं, रांची के ट्रैफिक एसपी रहे अजीत पीटर का तबादला झारखंड जगुआर में हुआ था, लेकिन वहां एसपी का पद ही नहीं है जिसकी वजह से उन्हें भी वेतन नहीं मिल रहा है. तीनों आईपीएस अधिकारियों से काम तो लिया जा रहा है लेकिन पोस्टिंग नहीं होने की वजह से 5 माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है.
ये भी पढ़ें:रैश ड्राइविंग करने वालों पर पुलिस की दबिश, 1.21 लाख का कटा चालान
एएसपी की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद एसपी बनने का इंतजार
झारखंड में 2017 बैच के आईपीएस अधिकारियों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है. आलम ये है कि सरकार ने इस बैच के दो आईपीएस राजेश रंजन को चतरा, कोडरमा में कुमार गौरव को एसपी बनाया. लेकिन उसी बैच के अधिकारी नाथू सिंह मीणा अभी एएसपी चक्रधरपुर, रेशमा रमेशन एएसपी सीसीआर रांची और विनीत कुमार हटिया एएसपी के पद पर ट्रेनिंग खत्म होने के बाद भी काम कर रहे हैं. अब तक इन अधिकारियों को एसपी रैंक में प्रोन्नत हर दिया जाना था. हैरानी की बात तो यह है कि आईपीएस अधिकारियों के कई पद जिलों से लेकर विंग में भी खाली हैं. लेकिन स्थान रिक्त होने के बावजूद पोस्टिंग नही हो रही है. नतीजा आईपीएस अधिकारियों को मनोबल गिरा कर नीचे रैंक में काम करना पड़ रहा है.
4 प्रशिक्षु आईपीएस को भी पोस्टिंग नहीं
वहीं, नेशनल पुलिस अकादमी (एनपीए) हैदराबाद से एक साल की ट्रेनिंग कर झारखंड कैडर में आए चार आईपीएस अधिकारी भी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं. पांच से छह महीने पूर्व झारखंड आए इन अधिकारियों को नियमतः अब तक जिला ट्रेनिंग के लिए एसडीपीओ या एएसपी के तौर पर की जानी चाहिए थी. हैदराबाद के नेशनल पुलिस अकादमी से प्रशिक्षू आईपीएस अधिकारी हरीश विन जमन, हरविंदर सिंह, कपिल चौधरी और शुभांशू जैन को झारखंड कैडर मिला है. कैडर आवंटन के बाद इन आईपीएस अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय के स्तर से नक्सल प्रभाव वाले जिलों में तैनात किया गया था. जहां उन्हें थाना ट्रेनिंग और विधि व्यवस्था में लगाया गया है. हरीश बिन जमन को चाईबासा, हरविंदर सिंह को लातेहार, कपिल चौधरी को पलामू और शुभांशू जैन गुमला जिले में तैनात किया गया था. सभी की अब तक एएसपी स्तर पर तैनाती नहीं हो पाई है.
प्रमोशन से भरे जाने वाले अधिकांश पद हैं खाली
राज्य में प्रमोशन से भरे जाने वाले आईपीएस अधिकारियों के अधिकांश पद खाली हैं. राज्य में प्रमोशन से आईपीएस के 45 पद हैं, लेकिन इन पदों में अब 24 पद खाली हैं. राज्य सरकार को इन पदों को भरने का निर्देश भी पूर्व में गृह मंत्रालय ने दिया था. 2017 के बाद की रिक्तियों के बदले डीएसपी कैडर के अफसरों का प्रमोशन आईपीएस में राज्य सरकार नहीं कर पायी है. कुछ माह पूर्व राज्य सरकार ने आईपीएस की कमी बताते हुए 2020 कैडर के दस आईपीएस अधिकारियों की मांग की थी.