रांची: झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने रांची के सदर थाने में झूठी कहानी गढ़कर छापेमारी और एफआइआर दर्ज कराने के मामले में कई अफसर संदेह के घेरे में हैं. जांच में एटीएस के लिए मुखबिरी करने वाले दिलावर और एटीएस की मिलीभगत से छापेमारी की बात भी सामने आ रही है. अब इनमें कौन-कौन पुलिस अधिकारी मिले थे, इसका पता लगाया जा रहा है.
पुलिस मुख्यालय ने मांगी जांच रिपोर्ट
पुलिस मुख्यालय ने रांची पुलिस को पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है. बताया जा रहा है कि रांची पुलिस को एटीएम की ओर से दिग्भ्रमित करने का भी पूरा प्रयास किया गया था. छापेमारी के पहले सूचना देने के बजाए एटीएस की ओर से छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद सूचना दी गई थी. स्थानीय सदर थाने को भी इसमें शामिल नहीं किया गया था. रांची पुलिस को इस पूरे प्रकरण पर तभी संदेह हो गया था, जब पता चला कि जमीन कारोबारी और बंशी उरांव हत्याकांड के आरोपी दिलावर ने मुखबिरी कर छापेमारी कराई थी. इसके बाद रांची पुलिस ने हर उस पहलुओं की जांच की जिससे पूरा सच सामने आए आ जाए.
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सीसीटीवी फुटेज से खुला राज
रांची पुलिस की टीम ने छापेमारी वाली जगह की सीसीटीवी फुटेज खंगाला. जिसमें जमीन कारोबारी दिलावर खान का सहयोगी शब्बीर खान पहले प्रवेश करता दिखाई दिया. इसके बाद छापेमारी की गई. ऐसे में सवाल उठता है कि एटीएस ने शब्बीर को क्यों वहां से आसानी से निकलने दिया. बता दें कि एटीएस दो निर्दोष युवक आदिल अफरीदी उर्फ राजू उर्फ मामा और राकेश कुमार सिंह को जेल भेजवाने का पूरा प्लान कर चुकी थी. गनीमत है, रांची पुलिस ने जेल भेजने से पूर्व छानबीन करना उचित समझा. छानबीन में एटीएस की फर्जी गिरफ्तारी और असली मुजरिम का पता चला. रांची पुलिस की छानबीन जारी है. झूठ की परत एक-एक कर खुल रही है.