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राज्य के थानों में वकीलों की होगी प्रतिनियुक्ति, मानवाधिकार का कराएंगे पालन

झारखंड के थानों में अब आमलोगों की मदद के लिए वकीलों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. हिरासत में लिए गए और गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्काल कानूनी मदद पहुंचाने के लिए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार ने थानों में वकीलों को प्रतिनियुक्त करने का निर्णय लिया है.

झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार
Jharkhand State Legal Services Authority

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Published : Aug 19, 2021, 2:04 PM IST

रांची: राज्य के थानों में अब आम लोगों की मदद के लिए वकीलों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. थाने में पदस्थापित वकील हिरासत में लिए गए और गिरफ्तार किए गए लोगों को तत्काल कानूनी मदद पहुंचाने का काम करेंगे. इसको लेकर झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (jharkhand State Legal Service Authority) ने अपने 96 पैनल वकीलों को थाने में प्रतिनियुक्त करने का निर्णय लिया है.

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थानों में मानवाधिकार का होगा पालन

थाने में मानवाधिकार का पालन कराने के लिए वकीलों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी यदि थाने में पूछताछ और हिरासत में लिए गए लोगों के साथ बदसलूकी होती है तो इसके लिए थाना प्रभारी की जिम्मेवारी होगी. झालसा की कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सभी जिलों के विधिक सेवा प्राधिकार (District Legal Service Authority) को इसे सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. फैसले के तहत थाने, सिविल कोर्ट, जेल प्रोबेशन होम, जैसे स्थानों पर बोर्ड लगाकर लोगों को संविधान प्रदत्त कानूनी अधिकारों की पूरी जानकारी दी जाएगी.

गिरफ्तार लोगों को कानूनी सुविधा
झालसा के मुताबिक पूछताछ या फिर किसी अपराध में गिरफ्तार अपराधी को कानूनी सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता है और ना ही थाने लाए गए किसी व्यक्ति को फोन पर किसी से बात करने से रोका जा सकता है. निर्देश के मुताबिक थाने, सिविल कोर्ट जैसे स्थानों पर लगाए गए बोर्ड में डालसा पैनल अधिवक्ता का नंबर रहेगा. पूछताछ के लिए या फिर गिरफ्तार किया गया कोई अपराधी निजी अधिवक्ता नहीं रख पाता हैं तो जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA ) के पैनल अधिवक्ता को सीधे फोन कर कानूनी सहायता मांग सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर

दरअसलसुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि पुलिस स्टेशन माननीय के सम्मान के लिए सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने सभी राज्यों के विधिक सेवा प्राधिकार को इसके लिए काम करने का आदेश दिया था. इसके बाद झालसा ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए ये कदम उठाया है.

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