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जानिए झारखंड में कब और कितनी बार रहा राष्ट्रपति शासन - President Rule

झारखंड की राजनीति 22 सालों से अस्थिरता की भंवर में झूलती रही है. 22 सालों में जहां राज्य ने 11 मुख्यमंत्रियों को देखा, वहीं कई बार झारखंड राष्ट्रपति शासन भी रहा. आइए जानते हैं झारखंड में कब और कितनी बार राष्ट्रपति शासन लगा. President rule imposed in Jharkhand

President Rule
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Published : Aug 26, 2022, 10:17 AM IST

रांची:2014 के बाद झारखंड की राजनीति में स्थिरता दिखने लगी. रघुवर दास ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और अपना कार्यकाल पूरा किया. उसके बाद 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बहुमत के साथ महागठबंधन की सरकार बनी. लोगों को लगा कि अब झारखंड की राजनीति में अस्थिरता का माहौल खत्म हो गया. लेकिन एकबार फिर सियासत करवट ले रही है, अब देखना है कि आगे क्या होगा. वहीं झारखंड में सियासी उठा-पटक में कई बार सीएम तो बदले ही, कई बार राष्ट्रपति शासन भी लगाना पड़ा.

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15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य की स्थपना हुई. जल जंगल जमीन की लड़ाई अलग राज्य बनने का आधार बना. लोगों को नए राज्य से काफी उम्मीदें थी, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण लोगों की उम्मीदे अब तक पूरी नहीं हुई. झारखंड के राजनीतिक इतिहास में अब तक एक मात्र मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया.

झारखंड में कब कब रहा राष्ट्रपति शासन

झारखंड में राष्ट्रपति शासन: झारखंड के राजनीतिक इतिहास में राष्ट्रपति शासन का भी जिक्र होता है. 22 सालों में यहां पर तीन बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया. 19 जनवरी 2009 को झारखंड में पहली बार राष्ट्रपित शासन लागू हुआ उस वक्त केंद्र में यूपीए की सरकार थी और सैय्यद सिब्ते रजी राज्यपाल थे. दूसरी बार राज्य में 1 जून 2010 से 10 सितंबर 2010 तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा. जबकि 18 जनवरी 2013 को राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ.

22 साल में 11 मुख्यमंत्री: 22 साल के झारखंड की राजनीति में राज्य ने अबतक 11 मुख्यमंत्री देखे जल्द ही 12वें मुख्यमंत्री देखने के कयास भी लगाए जा रहे हैं. रघुवर दास को छोड़ दें तो अबतक किसी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. झारखंड में बीजेपी और जेएमएम का दबदबा रहा है, पांच बार बीजेपी के मुख्यमंत्री बने तो पांच पार जेएमएम के नेता मुख्यमंत्री बने लेकिन इनमें से एक को छोड़कर किसी के नाम कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड नहीं है. बीजेपी से अर्जुन मुंडा और जेएमएम से शिबू सोरेन तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं लेकिन इन्होंने एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया.

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