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जेएमएम ने उठाया बिलकिस बानो के गुनाहगारों की सजा माफी का मामला, पूछा कहां गया बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की सजा माफ करने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के सामाजिक बहिष्कार के आह्वान के बदले बलात्कारियों का फूल माला से स्वागत किया गया. यह चिंता की बात है.

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जेएमएम ने उठाया बिलकिस बानो के गुनाहगारों की सजा माफी का मामला

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Published : Aug 19, 2022, 8:33 PM IST

रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा ने गुजरात के बिलकिस बानो मामले (Gujarat Bilkis Bano case) में 11 दोषियों की सजा माफ करने पर सवाल उठाया है. शुक्रवार को जेएमएम नेता सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है. उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने लाल किला के प्राचीर से महिला को अपमानित करने वालों को सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया. लेकिन उसी शाम गुजरात में 11 बलात्कारियों की सजा माफ कर दी गई.

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उन्होंने कहा कि साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान बिलकिस बानो नाम की गर्भवती महिला के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया. इसके साथ ही उसकी पांच साल की बेटी की हत्या कर दी थी. इस मामले में 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है. इस निर्णय में कहा गया है कि हत्या, बलात्कार और सांप्रदायिक दंगे में सजायाफ्ता की सजा माफ नहीं की जा सकती है. इसके बावजूद गुजरात में बिलकिस बानो के गुनाहगारों की सजा माफ कर दी गयी. इसके साथ ही जेल से बाहर निकलने पर इन 11 गुनाहगारों को फूल माला से स्वागत किया गया.

क्या कहते हैं जेएमएम नेता

जेएमएम नेता ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री और बीजेपी के बड़े नेताओं का इस मामले में कोई बयान नहीं आया है. उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि इस मामले में देश की जनता के सामने अपनी बात रखे. उन्होंने कहा कि यह भाजपा का कल्चर है. अपराधियों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए महिमामंडित करें. उन्होंने कहा कि साल 2018 में रामगढ़ में मॉब लिंचिंग के 11 आरोपी को उच्च न्यायालय से जमानत मिली तो तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा उन लोगों को माला पहना कर स्वागत किया था. झामुमो नेता ने कहा कि शासन कैसे चलाया जाता है. अपने वादें और जनता के हितों की रक्षा कैसे की जाती है. यह भाजपा के नेता हेमंत सोरेन से सीखें, जो पलामू फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार ना करके उस जमीन को आम आदिवासियों मूलवासियों को देने का फैसला लिया है.

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