रांचीः हेमंत सोरेन सरकार की कभी उल्टी गिनती गिनाने वाली झारखंड भाजपा इन दिनों साइलेंट मोड में है. बीजेपी के नेता सोशल मीडिया से लेकर हर चौक चौराहे पर बयान देने वाले अब सरकार गिरने और चुनाव होने के मुद्दे पर बोलने से बचते दिख रहे हैं. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (Godda MP Nishikant dubey) ने पिछले दिनों ट्वीट किया था कि अक्टूबर माह में दो विधानसभा में उपचुनाव होंगे. अब कांग्रेस और जेएमएम के नेता पूछ रहे कि कब चुनाव हो रहा है. निशाकांत दुबे कब चुनाव की तिथि घोषित करेंगे.
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट पर निशिकांत और बीजेपी साइलेंट! विपक्ष पर हमलावर हुए सत्तारूढ़ दल
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (Office of Profit Case) में झारखंड बीजेपी साइलेंट हो गई है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (Godda MP Nishikant dubey) पिछले दिनों ट्वीट कर कहा था कि अक्टूबर में दो विधानसभा में उपचुनाव होंगे. अब जेएमएम और कांग्रेस पूछ रही है कि चुनाव की तिथि बताये.
चुनाव आयोग से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले (Office of Profit Case) में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने संबंधी सबसे ज्यादा ट्वीट बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे और बाबूलाल मरांडी की ओर से पिछले दिनों की गई. इन्होंने यहां तक बता दी कि अक्टूबर में उपचुनाव भी होने के आसार हैं. अब मामला ठंडा होता देख झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नेता बीजेपी पर हमलावर हो गई है तो बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी इसपर खुलकर बोलने से परहेज करते हुए दिख रहे हैं. ईटीवी भारत ने जब बाबूलाल मरांडी से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि समय नहीं बताउंगा. लेकिन हेमंत सोरेन का जाना तय है. हेमंत सरकार जितना हैं. राज्य का नुकसान ही हो रहा है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि निशिकांत ट्वीट करके दुमका और बरहेट में उपचुनाव अक्टूबर में करा रहे थे. अब तक कोई घोषणा नहीं की है. उपचुनाव कब होगा. इसकी सूचना भी सार्वजनिक करें. जेएमएम नेता मनोज पांडे ने बीजेपी प्रोपगैंडा कर राज्य की जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हैं. सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की. लेकिन बीजेपी की चाल को हेमंत सरकार समय रहते समझ गई और बीजेपी की चाल को फेल की. बहरहाल राजनीति में सियासी दांव पेंच चलता रहता है और विपक्ष की भूमिका सरकार के कामकाज पर नजर रखकर आलोचना करना है. लेकिन हाल के दिनों में झारखंड में कुछ ऐसा माहौल बना, जिससे लगने लगा कि सरकार किसी भी वक्त जानेवाली है. लेकिन आज भी यह सस्पेंस बना हुआ है कि आखिरकार चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधायक बसंत सोरेन मामले में क्या फैसला दिया है.