रांची:ड्यूटी के दौरान तनाव में रहने की वजह से हाल के दिनों में कई पुलिसकर्मियों ने अपनी जान दे दी है. ऐसे में झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा वैसे पुलिसकर्मियों की सूची तैयार की जा रही है जो पारिवारिक समस्या से जूझ रहे हैं या फिर किसी अन्य बात को लेकर बेहद तनाव से गुजर रहे हैं.
सूची तैयार कर की जाएगी काउंसिलिंग
झारखंड पुलिस तनाव में रह रहे और पारिवारिक समस्या से जूझ रहे पुलिसकर्मियों की सूची तैयार कर रही है. हाल के दिनों में पारिवारिक कारणों या फिर अन्य कारणों से पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों के आत्महत्या करने जैसी घटना सामने आई है. ऐसे में डीजीपी नीरज सिन्हा ने सुसाइड जैसे वारदातों को रोकने की दिशा में बड़ी पहल की है. डीजीपी के निर्देश पर आईजी ऑपरेशन अमोल वी होमकर ने सभी जिलों के एसपी और पुलिस की सभी शाखाओं के प्रमुखों को पत्र लिखा है.
पुलिसकर्मियों की आत्महत्या रोकने के लिए झारखंड पुलिस मुख्यालय ने उठाया ये कदम, तैयार की जा रही सूची
जब आम लोग त्योहार और छुट्टियों का मजा ले रहे होते हैं तो पुलिसकर्मियों पर काम का बोझ ज्यादा होता है. लगातार काम और पारिवारिक कारण या फिर किसी और परेशानी की वजह से कई पुलिसवाले बेहद तनाव में रहते हैं. इसी को देखते हुए अब झारखंड पुलिस मुख्यालय वैसे पुलिसकर्मियों की सूची तैयार कर रहा है जो तनाव से जूझ रहे हैं.
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पत्र के जरिए आईजी ने जानकारी मांगी है कि पारिवारिक समस्या से जूझ रहे या अवसाद से ग्रसित किसी पुलिस पदाधिकारी या कर्मी की सूचना संज्ञान में आयी है तो इसकी सूची अविलंब उनके कार्यालय को भेजें. पुलिस मुख्यालय ने योजना बनायी है कि अवसाद से ग्रसित या पारिवारिक वजहों से तनाव में रहने वाले पुलिसकर्मियों की सूची मिलने के बाद उनकी काउंसिलिंग की जाएगी. पुलिस मुख्यालय के स्तर पर या जिलों में ही काउंसिलिंग की व्यवस्था की जाएगी। यही वजह है कि अविलंब सारे जिलों से पुलिसकर्मियों की सूची मांगी गई है.
पहले भी बनी थी तनाव से ग्रस्त पुलिसकर्मियों के लिए योजना
पुलिस मुख्यालय के स्तर पर पूर्व में भी तनाव से ग्रस्त पुलिसकर्मियों पर काम करने की योजना बनी थी. तब पुलिस मुख्यालय ने प्रत्येक पुलिसकर्मी और पदाधिकारी के स्तर पर निगरानी के लिए एक एक पुलिसकर्मी के द्वारा आपस में ही मॉनिटरिंग की व्यवस्था का निर्देश जारी किया था. ऐसे में अगर किसी पुलिसकर्मी को लगता कि उससे संबंधित पुलिसकर्मी तनाव में है तो इसकी जानकारी ऊपर के पदाधिकारियों को देनी थी, ताकि तनाव में रहने वाले पुलिसकर्मी की काउंसिलिंग की जा सके. हालांकि यह व्यवस्था काम नहीं कर पायी थी.