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लॉकडाउन-3 के दौरान बाहर से आये लोगों की सूचना को लेकर दिशा-निर्देश जारी, सीएस ने कहा सोशल पुलिसिंग भी जरूरी

30 अप्रैल के बाद राज्य के बाहर से माइग्रेंट वर्कर्स और अन्य के वापस लौटने पर की जाने वाली कार्रवाई को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. झारखंड सरकार की तरफ से इससे संबंधित कई गाइडलाइंस भी जार किए हैं. इसे लेकर गांव और शहरी क्षेत्र में टीम का गठन किया जाएगा.

hemant, हेमंत
हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

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Published : May 14, 2020, 5:18 PM IST

रांची: झारखंड सरकार ने 30 अप्रैल के बाद राज्य के बाहर से माइग्रेंट वर्कर्स और अन्य के वापस लौटने पर की जाने वाली कार्रवाई को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इस बाबत प्रदेश के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने सभी जिलों के उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक और पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजा है. उसमें स्पष्ट लिखा है कि फंसे हुए लोगों का मूवमेंट राज्य में रेल, बस और व्यक्तिगत रूप से पास के आधार पर होगा. इस संबंध में सोशल पुलिसिंग सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं. इस बाबत ग्रामीण इलाकों के परंपरागत ग्राम प्रधानों को स्थानीय ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर, सर्किल ऑफिसर और स्थानीय थाना के ऑफिसर इंचार्ज को ग्रामीण इलाके में बाहर से आए लोगों के पहुंचने पर सूचित करना है.

झारखंड मंत्रालय
शहरी इलाकों में बनाई जाएगी कमिटीवहीं, शहरी इलाकों में इसकी सूचना सर्किल ऑफिसर, थाना प्रभारी और नगर निकाय के पदाधिकारियों को दी जाएगी. इस बाबत वार्ड सदस्य के अलावा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, जन वितरण प्रणाली के दुकानदार, सहिया, स्वयं सहायता समूह के अलावा अन्य लोगों को दिशा निर्देश दिया गया है. हर जिले के उपायुक्तों को थाना स्तर पर एक कमेटी बनाने का निर्देश दिया गया है. जिसके सदस्य स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, मेडिकल ऑफिसर, थाना प्रभारी और संबंधित प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी होंगे. यह कमिटी हर दिन बाहर से आए लोगों के बारे में इंफॉर्मेशन इकट्ठा करेगी.

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होगी हेल्थ की स्क्रीनिंग, तैयार होगी लिस्ट
जबकि ग्रामीण इलाकों में बीडीओ और शहरी इलाकों में संबंधित नगर निकाय के अधिकारी गांव के स्तर पर और वार्ड के स्तर पर बाहर से आनेवाले लोगों की सूची तैयार करेंगे. आनेवाले लोगों की सूचना प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर उनकी स्क्रीनिंग स्थानीय एएनएम द्वारा की जाएगी. स्क्रीनिंग के बाद आगंतुक को होम क्वॉरेंटाइन या संस्थागत क्वॉरेंटाइन करना है. इस संबंध में संबंधित मेडिकल ऑफिसर के द्वारा निर्णय लिया जाएगा. व्यक्ति के संबंध में इंस्टिट्यूशनल क्वॉरेंटाइन के फैसले के बाद उसे तुरंत केंद्र में भेजा जाएगा.

क्वॉरेंटाइन को लेकर मेडिकल अफसर लेंगे निर्णय
वहीं, होम क्वॉरेंटाइन की स्थित में प्रभावित व्यक्ति को घर से बाहर नहीं निकलना है, केवल रोजमर्रा की जरूरतों के लिए उसके परिवार का कोई सदस्य घर बाहर निकलने के लिए अधिकृत होगा. होम क्वॉरेंटाइन की अवधि कम से कम 14 दिन की होगी, टेस्टिंग के लिए जाने की परिस्थिति में सैंपल अगर पॉजिटिव पाया जाता है तो आगे की कार्यवाही हेल्थ डिपार्टमेंट के निर्देश के अनुसार होगी. होम क्वॉरेंटाइन का आदेश निर्गत करने के लिए इंसिडेंट कमांडर को रूप में उपायुक्त द्वारा थाना स्तर पर गठित कमेटी को प्राधिकृत किया जाएगा.

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