रांची: जनगणना 2021 के प्रपत्र में राज्य के आदिवासियों के लिए सरना कोड की व्यवस्था होनी चाहिए. इस बाबत केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के लिए विभागीय संकल्प को हेमंत कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने कहा कि सरना कोड की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन होता रहा है. कई संस्थानों, विधायकों और पूर्व विधायकों ने इस बाबत सरकार को समय-समय पर ज्ञापन भी दिया है. इसको लेकर कैबिनेट की बैठक में चर्चा के बाद केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का फैसला लिया गया है. राजीव अरुण एक्का ने कहा कि 2011 के जनगणना प्रपत्र में धर्म को अंकित करने के लिए सात कॉलम हैं. कॉलम संख्या 1 से लेकर 6 तक में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्म का कोड अंकित करने का प्रावधान है लेकिन कॉलम संख्या 7 में अन्य शब्द लिखा हुआ है. यानी 6 धर्मों के अलावा कोई और धर्म मानने वालों के लिए किसी तरह का कोड नहीं है.
चूंकि देश में आदिवासियों की बड़ी संख्या है, इसलिए जनगणना प्रपत्र में उनके धर्म को अंकित करने के लिए कॉलम नंबर 7 में प्रावधान करते हुए कोड नंबर देने की मांग की है. इसी मसले पर एक ग्यारह नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. इसमें आदिवासी/सरना धर्म कोड के प्रस्ताव पर चर्चा होगी और उसे पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. हेमंत कैबिनेट में कुल 20 प्रस्तावों पर मुहर लगी है, कैबिनेट सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि धान अधिप्राप्ति पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा ₹182 प्रति क्विंटल बोनस के रूप में सरकार देगी. साधारण धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹1668 प्रति क्विंटल है जबकि ग्रेड ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹1888 है. अब किसानों को साधारण धान की अधिप्राप्ति पर ₹2050 और ग्रेड ए धान की अधिप्राप्ति पर ₹2070 मिलेंगे.
बीएड के लिए नहीं होगी संयुक्त प्रवेश परीक्षा
कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए 2020-22 के लिए एनसीटीई से मान्यता प्राप्त बीएड कॉलेजों में नामांकन के लिए संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा नहीं ली जाएगी. कैबिनेट ने फैसला लिया है कि इस सत्र के लिए स्नातक के नंबर के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाया जाएगा. उसी आधार पर छात्रों की काउंसलिंग के लिए JCECEB को अधिकृत किया गया है.