रांची:जैक ने मैट्रिक का रिजल्ट जारी कर दिया है. इसमेंरांची हिंसा में मारे गए मुदस्सिर का भी रिजल्ट आया है. वह फर्स्ट डिवीजन से पास हुआ है.10 जून को रांची हिंसा ने मुदस्सिर उर्फ कैफी की जान ले ली थी. पुलिस कहती है कि वह हिंसक भीड़ का हिस्सा था. पत्थरबाजी कर रहा था. इसी बीच कहां से एक गोली उसके माथे में समा गई.
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मैट्रिक का रिजल्ट जारी कर दिया गया है. आज मुदस्सिर होता तो अपना रिजल्ट देखकर झूम रहा होता. परिजनों और दोस्तों का मुंह मीठा कर रहा होता. यह सोच रहा होता कि किस कॉलेज में दाखिला लूं. यह सोच रहा होता कि अब आगे क्या करना है. अपने अब्बू से कहता कि मैं फर्स्ट डिवीजन से पास हो गया हूं. मुहल्ले के लोग उसकी तारीफ कर रहे होते. इस रिजल्ट के बाद आज अगर मुदस्सिर से मुलाकात होती तो समझ सकते हैं क्या बात होती. शायद, यह कहता कि बड़ा होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनूंगा. शायद यह कहता कि पुलिस अफसर या शिक्षक बनूंगा. उसकी इतनी उम्र नहीं थी कि अच्छे-बुरे का फर्क कर पाता.
अब सवाल है कि किसने मुदस्सिर को हिंसक भीड़ का हिस्सा बनाया. किसने उसे उकसाया. उसकी मौत के लिए कौन जिम्मेदार है. उसकी मासूम तस्वीर बता रही है कि वह कुछ और बनने के लिए आया था. उसकी आंखों में असीम संभावनाएं देखी जा सकती है, लेकिन चंद लोगों ने अपनी रोटी सेंकने के लिए उसे उकसाया. एक मासूम के दिमाग में जहर घोला. मुदस्सिर का यूं ही चले जाना उसके परिवार के लिए कभी न भरने वाले जख्म की तरह होगा. मुदस्सिर का यूं चले जाना समाज के लिए एक सबक भी है. यह घटना बताती है कि देश संविधान और कानून के हिसाब से चलता है. अगर किसी बात को लेकर गुस्सा भी था तो उसके विरोध का तरीका होता है. विरोध भी करना था तो बच्चों को इससे दूर क्यों नहीं रखा गया. आगे किसी भी मुदस्सिर के साथ ऐसा न हो, इसके लिए समाज को सोचना चाहिए.
मुदस्सिर ने पुनदाग स्थित लिटिल एंजेल स्कूल से पढ़ाई की थी. यहीं से उसने मैट्रिक की परीक्षा लिखी थी. उसके फर्स्ट डिवीजन से पास होने की खबर आते ही पिता परवेज आलम और मां निखत परवीन का रो रोकर बुरा हाल है. परवेज आलम ठेले पर घूम घूमकर फल बेचकर गुजर-बसर करते हैं. आज यह दंपत्ति सिर्फ यही सोच रहा होगा कि उनके इकलौते मुदस्सिर को किसने उग्र भीड़ का हिस्सा बना दिया. मैट्रिक की परीक्षा में मुदस्सिर ने इंग्लिश में 71, हिंदी में 64, उर्दू में 70, साइंस में 60, सोशल साइंस में 68 और गणित में 53 अंक मिले हैं. लेकिन अब इस रिजल्ट का कोई मतलब नहीं. अब यह जानना जरूरी है कि देश के एक होनहार को किसने मौत के मुंह में धकेला.