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'रसूखदार' हैं एक्साइज डिपार्टमेंट के यह अधिकारी, जहरीली शराब ने 2 साल में ली 20 जान लेकिन कार्रवाई सिफर

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Published : Sep 26, 2019, 10:02 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 10:40 PM IST

एक्साइज डिपार्टमेंट में तैनात अधिकारी गजेंद्र कुमार सिंह पिछले 10 सालों से एक ही जगह अपने पद पर तैनात हैं. इस दौरान शराब से मौत की दो-दो बड़ी घटनाएं घटी फिर भी इन दस सालों में उनका टस से मस नहीं होना सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावे पर सवाल खड़े करता है.

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रांची: सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास के पोर्टफोलियो एक्साइज डिपार्टमेंट में तैनात अधिकारी गजेंद्र कुमार सिंह कम रसूख वाले नहीं है. एक तरफ जहां वह पिछले एक दशक से एक पद पर काबिज हैं. वहीं, दूसरी तरफ रांची के असिस्टेंट कमिश्नर (रांची) की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इनके कार्यकाल में दो बड़ी घटनाएं हुई जिनमें जहरीली शराब पीकर लगभग 20 से अधिक लोग मौत का शिकार हो गए. हैरत की बात यह है कि एक घटना में न तो कोई जांच हुई और ना विभाग के अधिकारियों के ऊपर जिम्मेदारी फिक्स की गई.

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कई हादसों के बाद संभाल रहे दो-दो पद
गजेंद्र कुमार सिंह के रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2017 में राजधानी रांची के डोरंडा इलाके में हुई जहरीली शराब पीने से 20 लोगों की कथित मौत के बाद उन्हें रांची के असिस्टेंट कमिश्नर की जिम्मेदारी दे दी गई. जबकि वह पहले से लंबे समय से डिप्टी कमिश्नर एक्साइज हेड क्वार्टर के रूप में तैनात हैं. इतना ही नहीं 2018 में राजधानी रांची के हातमा इलाके में 6 लोग जहरीली शराब पीने से काल के गाल में समा गए थे. उनमें से एक कथित तौर पर मुख्यमंत्री सचिवालय में सफाई कर्मी के पद पर तैनात था. यह तब हुआ जब सिंह दो महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे. हैरत की बात यह है कि हातमा बस्ती में हुई मौत मामले का जिन्न अभी तक बोतल में बंद है. सूत्रों की मानें तो विभागीय सचिव ने इस मामले की जांच की लेकिन जांच रिपोर्ट का क्या हुआ इसकी जानकारी किसी को नहीं है.

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सितंबर 2018 में क्या हुआ था ?
दरअसल, सितंबर 2018 में हातमा इलाके में 7 लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी. उसमें विजय मिर्धा समेत छह की पहचान की गई, मिर्धा सीएमओ में सफाई कर्मी के रूप में तैनात था. हालांकि घटना के बाद एक्शन के नाम पर जमकर रेड कंडक्ट किए गए. बड़ी मात्रा में कच्ची शराब और शराब बनाने का सामान जब्त किया गया लेकिन इस घटना को लेकर विभाग के किसी भी अधिकारी पर जिम्मेदारी फिक्स नहीं की गई.

सितंबर 2017 में भी हुई थी जहरीली शराब पीने से 20 की मौत
सितंबर 2017 में डोरंडा के जैप कैंपस में नकली शराब पीने से लगभग एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. घटना के बाद तत्कालीन असिस्टेंट कमिश्नर एक्साइज उमाशंकर सिंह और डोरंडा और नामकुम के थान इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया. मामले की जांच बाकायदा दक्षिणी छोटानागपुर आयुक्त नेतृत्व में एक टीम ने की और उसी टीम ने इन अधिकारियों के खिलाफ एक्शन की अनुशंसा की. इसी घटना के बाद उमाशंकर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया और डिप्टी कमिश्नर गजेंद्र सिंह को अस्सिटेंट कमिश्नर रांची के अतिरिक्त प्रभार मिला. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 2 साल से गजेंद्र कुमार सिंह इस अतिरिक्त प्रभार को बखूबी निभाते चले आ रहे हैं.

क्या कहते हैं राजनीतिक दल के नेता ?
प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे कहते हैं कि इस तरह की घटना के बाद सरकार तुरंत तत्पर दिखाई देती है. लेकिन मामले की तुरंत लीपापोती भी कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि जहरीली शराब से मौत के बाद विभागीय अधिकारियों के खिलाफ क्या एक्शन हुआ है इसकी जानकारी किसी को नहीं है. पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, वहीं सरकार में शामिल आजसू पार्टी का मानना है कि राज्य में शराबबंदी होनी चाहिए. पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता देवशरण भगत कहते हैं कि उन्होंने पहले भी राज्य सरकार से शराबबंदी की वकालत की थी. भगत ने कहा कि दरअसल शराब की वजह से राज्य की दुर्दशा हो रही है. उन्होंने कहा के दोषी लोगों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही होनी चाहिए.

Last Updated : Sep 26, 2019, 10:40 PM IST

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