रांचीः कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर में जब किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होने के बाद जानकारी दी जाती है तो पहला सवाल जो पूछा जाता है वह है कि सीटी वैल्यू (cycle threshole, CT value) कितना है?
इसे भी पढ़ें- अब रैपिड एंटीजन किट बढ़ाएगा झारखंड में कोरोना टेस्ट, 24 जिलों को भेजा 7.5 लाख किट
क्या होता है सीटी वैल्यू और इसका क्या महत्व है?
यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम रांची की प्रख्यात पैथोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल अफसर (medical officer) डॉ. रंजू कुमारी से बात की. उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति की RT-PCR से कोरोना संक्रमण की जांच की जाती है, तब उसके गले से लिए गए स्वाब से वायरस को multiply या amplify करते हैं. उसके बाद मशीन में जिस चक्र (cycle) में वायरस डिटेक्ट होता है वह उसका सीटी वैल्यू होता है.
जितना अधिक सीटी वैल्यू, वायरस का लोड उतना कम
डॉ. रंजू बताती हैं कि RT-PCR में जितना अधिक सीटी वैल्यू रहेगा. इसका मतलब है कि संक्रमित व्यक्ति में वायरस का लोड उतना ही कम है. क्योंकि सीटी ज्यादा होने का मतलब है कि मशीन को वायरस को पकड़ने या डिटेक्ट करने में ज्यादा cycle से गुजरना पड़ा. अगर किसी व्यक्ति का सीटी वैल्यू 15 है और दूसरे का 30 तो यह पता चलता है. पहले में वायरस का लोड इतना ज्यादा है कि मशीन 15 cycle में ही वायरस डिटेक्ट कर लिया, जबकि दूसरे में इतना कम है कि 30 cycle के बाद वायरस पकड़ में आया.