रांची: कहते हैं युवा देश के भविष्य हैं. लेकिन झारखंड की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य शहरों में जिस तरह से युवाओं के कदम डगमगाए हैं, उनका खुद का भविष्य खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. महंगे शौक और जल्द अमीर बनने की चाहत में अपराध की दुनिया में युवाओं का झुकाव साफ तौर पर नजर आ रहा है. पिछले कुछ सालों में राजधानी सहित दूसरे शहरों में हुई कई बड़ी घटनाओं, चाहे लूट हो, या हत्या. हर मामले में युवा अपराधियों का हाथ सामने आया है. एनसीआरबी के आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि झारखंड के जेलों में बंद ज्यादातर कैदी युवा हैं.
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जेल बन जाता है अपराध की पाठशाला
छोटे-छोटे अपराध करके जब युवा जेल पहुंचते हैं तब उनकी मुलाकात जेल में बंद शातिर अपराधियों से होती है. बड़ा अपराधी बनने की चाह में युवा शातिर अपराधियों को अपना गुरु मान लेते हैं और अपराध की कई तरह की दांवपेच जेल में ही लिखने लगते हैं. नतीजा जब वह बाहर निकलते हैं तब तक वे एक शातिर अपराधी के सारे गुण अपने अंदर आत्मसात कर चुके होते हैं.
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कैदियों में पीजी, टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी शामिल
राज्य भर के अलग-अलग जेलों में बंद 48 सजायाफ्ता कैदी पीजी डिग्री धारी हैं. यानी वे पढ़ने लिखने में तेज थे. जबकि 106 सजायाफ्ता पीजी डिग्री धारी कैदी अंडर ट्रायल हैं. 107 कैदी टेक्निकल डिग्री वाले हैं. जबकि 263 आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस स्नातक कैदी हैं. 10वीं से स्नातक वाले 1205 कैदी. 2815 कैदी नन मैट्रिक और 1421 कैदी निरक्षर हैं. 168 टेक्निकल डिग्री वाले हैं. 532 स्नातक उतीर्ण हैं. जबकि 10वीं से स्नातक वाले 3278 अंडर ट्रायल आरोपी. 5775 नन मैट्रिक और 2900 निरक्षर अंडर ट्रायल आरोपी हैं.
बड़े अपराधी कर रहे यूज
बड़े अपराधियों की नजर हमेशा युवाओं पर रहती है. वे उनसे आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाते हैं. पुलिस की तफ्तीश में यह बात सामने आई थी कि कुख्यात गैंगस्टर अमन साव फेसबुक अकाउंट के माध्यम से युवाओं को दोस्त बनाता था. फिर उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल देता था. घाघीडीह जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा भी जेल में रहकर भी युवाओं को अपने गिरोह में जोड़ता है, उनसे आपराधिक वारदातों को अंजाम दिलवाता है. पुलिस रिमांड पर बीते जनवरी और अगस्त महीने में गैंगस्टर सुजीत सिन्हा ने पुलिस को बताया था कि रांची, रामगढ़, हजारीबाग में उसने कुख्यात गैंगस्टर अमन साव से हाथ मिला लिया है. उसका मुख्य काम अमन साव ही देख रहा है.
अपराध से जुड़ने के कई कारण
पुलिस अधिकारियों की माने तो कई ऐसे वजह हैं जिनके कारण युवा पढ़ाई पर ध्यान न देकर अपराध की दुनिया की तरफ कदम रख रहा है. उनमें सबसे पहला है जल्द अमीर बनने की चाहत. ऐसो आराम यानी लग्जरी लाइफ स्टाइल जीना. अपराध की तरफ झुकाव के प्रमुख कारणों को अगर हम देखें तो सब स्पष्ट हो जाता है.
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प्रमुख कारण
युवा महंगे मोबाइल, बाइक्स, लैपटॉप जैसी कई सुविधाएं चाहते हैं. इस शौक को पूरा करने के लिए चोरी और लूट का शॉर्टकट अपना रहे हैं.
गर्लफ्रेंड्स की खातिर
गर्लफ्रेंड्स को महंगे गिफ्ट देकर इंप्रेस करते और रेस्टोरेंट्स में खाना खिलाने का खर्च जुटाने के लिए क्राइम की तरफ कर रहे रुख.
गलत कंपटीशनके चक्कर में
कॉलेज में साथ पढ़ रहे अमीर घरों के लड़कों से कंपटीशन के चक्कर में सामान्य घरों के बच्चे अपराध का शॉर्टकट चुन ले रहे हैं. कई बार साथियों से बड़ी रकम उधार ले लेते है. पैसे न चुका पाने की स्थिति में अपराध की ओर कदम बढ़ा देते हैं.
पार्टियों की मस्ती
गांव से या फिर बाहर से आकर रहने वाले छात्र नशे और कई तरह की पार्टियों के आदी हो जाते हैं. इसमें होने वाले खर्च को पूरा करने के चक्कर में गलत दिशा में बढ़ जाते हैं.