रांचीःझारखंड विधानसभा में सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने के बाद से जश्न मनाने का सिलसिला जारी है. राष्ट्रीय आदिवासी सरना धर्म रक्षा अभियान के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके आवास पर मुलाकात कर बधाई दी और सम्मानित किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दिल की बात साझा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पिछले कई दिनों से आदिवासियों के इस वर्षों पुरानी मांग पर मंथन कर रहे थे. बुधवार को विधानसभा में जब प्रस्ताव पारित हुआ तब चैन की नींद नसीब हुई.
लंबी लड़ाई है
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि,"मैं कैसे उठा हूं आप अंदाजा नहीं लगा सकते. ऐसा लग रहा था जैसे मुझे क्रेन से उठाया जा रहा था". सीएम ने कहा अभी तो शुरुआत है, लंबी लड़ाई लड़नी है. जनजातीय समाज की बेहतरी के लिए बहुत कुछ करना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह बखूबी समझते हैं कि ऐसा करने पर उनकी खूब आलोचनाएं भी होंगी, लेकिन वह रुकने वाले नहीं हैं. सीएम के इस कथन के कई मायने निकाले जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं, यानी लड़ाई लंबी चलेगी और इसे एकजुटता के साथ ही जीता जा सकता है.
"ट्राईबल एडवाइजरी काउंसिल के गठन के बाद आदिवासी हित से जुड़े मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा. शिक्षा का अभाव और बौद्धिक रूप से मजबूत नहीं होने के कारण आदिवासी समय-समय पर बिखरते रहे हैं, लेकिन समय के साथ हमें आगे बढ़ना है. अब पंचायत से लेकर देश स्तर पर आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है". -हेमंत सोरेन, सीएम
इस मौके पर राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा की ओर से मुख्यमंत्री को सरना पूजा का प्रतीक चिन्ह और पुस्तक भेंट किया गया. इससे पहले मुख्यमंत्री ने आदिवासी संगठन से जुड़े लोगों के साथ परंपरागत मांदर की धुन पर नृत्य भी किया. कार्यक्रम में सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा, प्रोफेसर करमा उरांव समेत आदिवासी सरना धर्म रक्षा अभियान और अंतर्राष्ट्रीय संथाल परिषद के कई प्रतिनिधि मौजूद थे.