रांची: मन को सुकून मिलता है यह जानकर कि लोग आपके बारे में जानना चाहते हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यह पंक्ति अपने पिता दिशोम गुरू शिबू सोरेन को समर्पित थीं. मौका बेहद खास था. एक तो पिता का 77वां जन्मदिन और ऊपर से उनके संघर्षों की याद दिलाती पुस्तक का विमोचन.
हेमंत सोरेन, सीएम, झारखंड हालांकि हेमंत सोरेन ने एक पुत्र की तरह नहीं बल्कि एक मुख्यमंत्री की तरह अपनी बात रखी. उन्होंने राज्य की बात की. उन सभी को याद किया, जिनके संघर्ष की बदौलत झारखंड बना. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राज्य संघर्ष की उपज है. पीड़ादायक संघर्ष की उपज. इतिहास के पन्नों को पलटने का मौका नहीं मिला, लेकिन संघर्षशील परिवार से होने के नाते कई बातें सुनता आया हूं.
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जब देश ने आजादी के सपने देखना शुरू नहीं किया था, तब झारखंड के लोग आंदोलन कर रहे थे. आपके आशीर्वाद से राज्य की बागडोर उनके पास है. वो यहां की आंतरिक और बाह्य क्षमता को करीब से देख रहे हैं. उनके पूर्वजों ने जंगल, जमीन, फसल के लिए संघर्ष किया. उन सपनों को साकार करना है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां क्षमता की नहीं बल्कि चेतना की कमी है. भरोसे से कह सकता हूं कि आने वाले समय में झारखंड अग्रणी राज्यों से आगे निकल सकता है. यह प्रदेश छोटा जरूर है, लेकिन यहां के लोगों के पास गर्व करने वाली शक्तियां हैं. यहां कुछ है तभी तो टाटा-बिड़ला ने व्यापार शुरू किया था.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पॉजिटिव माइंड के साथ आगे बढ़ना है. यह ऐसा राज्य है जहां साल भर शहादत दिवस मनाए जाता हैं. उन्हें सभी को साथ लेकर चलना है. इस राज्य में द्वेष की कोई घटना होती है, तो वो सभी जिम्मेदार होंगे. रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में शिबू सोरेन पर रचित पुस्तक के विमोचन के बाद झारखंड के मंत्रियों ने गुरूजी को पुष्पगुच्छ देकर दीर्घायु होने की कामना की.