रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य सरकार की नई थोक शराब नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले में फिर 29 सितंबर को दोनों पक्षों से अपनी बात रखने को कहा है.
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शराब नीति के मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई थोक शराब नीति में किसी भी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोप गलत और निराधार है. टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की बाध्यता नहीं है. वहीं ममले में हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले अन्य पक्ष के अधिवक्ताओं ने भी महाधिवक्ता की इस दलील पर अपनी स्वीकृति देते हुए कहा कि राज्य सरकार के द्वारा बनाई गई नई शराब नीति सही है. नियम संगत है.
वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार की नई थोक शराब नीति में कई खामियां हैं. यह शराब नीति नियम संगत नहीं है. इसलिए इस शराब नीति को रद्द कर देना चाहिए. फिर से शराब नीति बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व के बनाए गए शराब नीति को हटाए बिना नई शराब नीति नहीं बनाई जा सकती है.
बता दें कि याचिका झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष अचिंत्य साव ने हाई कोर्ट में दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से थोक शराब बिक्री के लिए बनाई गई नई नियमावली नियम संगत नहीं है. इसमें कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत बनने वाली नई नियमावली से पहले उस पर आपत्ति मांगा जाना अनिवार्य है. आपत्ति को समाहित करते हुए उसे कैबिनेट भेजा जाता है. वहां से सहमति मिलने पर नियमावली की अधिसूचना जारी की जाती है. लेकिन सरकार ने आपत्ति मंगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया है. एक्साइज एक्ट-1915 की धारा 89 के तहत पहले ही एक नियमावली बनी है. ऐसे में जब तक उक्त नियमावली को हटाया नहीं जाता है, तब तक नई नियमावली नहीं बनाई जा सकती है. अदालत से नई नियमावली को निरस्त करने की मांग की गई है.