3 हफ्ते में मांगा जवाब
झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे के सर्टिफिकेट को फर्जी बताने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ताओं ने् अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलील को सुनने के उपरांत राज्य सरकार को मामले में 3 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. साथ ही उन्हें यह निर्देश दिया गया है कि, राज्य सरकार द्वारा अनावश्यक नोटिस जारी कर सांसद को परेशान ना किया जाए.
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ना करें परेशान
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मामले में जवाब पेश करने के लिए समय की मांग की गई. बताया गया कि, कोरोना वायरस के कारण कम स्ट्रेंथ के साथ काम किए जाने के कारण जवाब पेश नहीं किया जा सका. जवाब के लिए 6 सप्ताह का समय दिए जाएं. उनके इस समय की मांग का सांसद की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि ये बार-बार समय की मांग करते हैं और सांसद को अनावश्यक नोटिस जारी कर परेशान करते हैं, जिस पर अदालत ने सरकार के अधिवक्ता को यह कहा कि इस बीच सरकार उन्हें नोटिस जारी कर बेवजह परेशान ना करें, ना ही उन पर किसी भी तरह की कोई पीड़क कार्रवाई करे.
देवघर थाना में एफआईआर दर्ज
शिकायतकर्ता विष्णुकांत झा ने सांसद की एमबीए डिग्री को फर्जी बताते हुए एफआईआर दर्ज करायी है. लोकसभा चुनाव के समय नॉमिनेशन में निशिकांत दुबे ने शैक्षणिक योग्यता में एमबीए डिग्री का हवाला दिया था. उसी डिग्री को फर्जी कहते हुए शिकायतकर्ता ने देवघर के सदर थाने में एफआईआर दर्ज करवायी थी. उसी एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.
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झारखंड हाई कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग
सितंबर 2020 के पहले हफ्ते में गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ जमशेदपुर के दानिश ने झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी. दानिश ने निशिकांत दुबे की डिग्री पर सवाल उठाते हुए एमबीए की डिग्री की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. साथ ही अदालत से आग्रह किया था कि सीबीआई को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दें. वहीं, याचिकाकर्ता ने भारत के निर्वाचन आयोग से निशिकांत दुबे की लोकसभा सदस्यता तत्काल निरस्त करने की भी मांग की थी.
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याचिका में डिग्री को बताया फर्जी
याचिकाकर्ता के अनुसार निशिकांत दुबे ने वर्ष 2009, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग को जो हलफनामा दिया है, उसमें बताया कि उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री भी ली है, लेकिन पिछले दिनों दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से एक आरटीआई के जवाब में कहा है कि निशिकांत दुबे नाम के किसी भी व्यक्ति ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मैनेजमेंट की डिग्री नहीं ली है. याचिका में चीफ इलेक्शन कमिश्नर, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के निदेशक और निशिकांत दुबे को पक्षकार बनाया गया.
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जेएमएम ने खटखटाया चुनाव आयोग का दरवाजा
पिछले साल जुलाई में एमपी निशिकांत दुबे की कथित फर्जी डिग्री का मामला चुनाव आयोग पहुंचा था. इस बाबत सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को एक पत्र भेजा. जिसमें दुबे के नामांकन पत्र की गहन जांच और सदस्यता की वैधता पर विचार करने का निवेदन किया था. इस बाबत मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था. अपने पत्र में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि गोड्डा के मौजूदा सांसद ने 2009 में अपने नामांकन पत्र में अपनी उम्र सीमा 37 वर्ष अंकित की है. इसके साथ ही शैक्षणिक योग्यता में उन्होंने बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड से 1982 में मैट्रिक पास करने का उल्लेख किया है. दावे के अनुसार दिल्ली यूनिवर्सिटी से मौजूदा सांसद ने एमबीए की परीक्षा 1993 में पास की थी. भट्टाचार्य ने कहा कि 2009 में 37 साल की उम्र वाले निर्वाचित सांसद अपने दाखिल किए गए शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 10 साल की आयु में ही मैट्रिक के परीक्षा पास कर जाते हैं.