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रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने क्यों जाहिर की नाराजगी, इस रिपोर्ट में जानिए

झारखंड हाई कोर्ट में रेमडेसीविर कालाबाजारी मामले को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने जांच दल की रिपोर्ट पर नाराजगी व्यक्त करते हुए जल्द से जल्द जांच पूरा करने का निर्देश दिया है.

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट

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Published : Aug 27, 2021, 9:52 AM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की सुनवाई हुई. जांच दल की रिपोर्ट पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए सुनवाई के दौरान रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख अनिल पाल्टा को वीसी के जरिये उपस्थित होने का निर्देश दिया. जिसके बाद एसआईटी के प्रमुख अनिल पाल्टा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत को पूरे मामले की जानकारी दी. अनिल पाल्टा से जानकारी मिलने के बाद हाई कोर्ट ने जांच को जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है.

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सभी पक्षों की जांच कर रही है एसआईटी

अनिल पाल्टा ने हाई कोर्ट में बताया कि जैसे जैसे मामले की जांच आगे बढ़ रही है इसमें कई बिंदु जुड़ते जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि एसआईटी सभी बिंदुओं की क्रमवार तरीके से जांच कर रही है और सभी साक्ष्य इकट्ठा कर रही है.

देखें वीडियो

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई

इस मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉक्टर रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सरकार का पक्ष रखा और अदालत को बताया कि एसआईटी रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की जांच बेहतर तरीके से कर रही है. बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर समेत अन्य महत्वपूर्ण दवाइयों की कालाबाजारी की खबरों पर झारखंड हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया था. जिसे जनहित याचिका में तब्दील कर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई की जा रही है.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि दवा रेमडेसिविर की कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान जमकर कालाबाजारी की गई थी. इसकी जानकारी पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और जनहित याचिका पर सुनवाई प्रारंभ की थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने मामले की सीआईडी से जांच कराने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के उसी आदेश के आलोक में मामले की जांच सीआईडी कर रही थी. इसके बाद एसआईटी का गठन कर दिया गया. वर्तमान में एसआईटी उसकी जांच कर रही है.

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