रांची: झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अनिल कुमार चौधरी की अदालत में घूस लेने के मामले में एसीबी विशेष अदालत से सजायाफ्ता चाईबासा के तत्कालीन भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता सोनेलाल दास की अपील पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और एसीबी के अधिवक्ता टीएन वर्मा ने अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना अपना पक्ष रखा. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजायाफ्ता अभियंता को किसी भी प्रकार का राहत देने से इनकार करते हुए उनकी अपील याचिका को खारिज कर दिया है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इनके खिलाफ जो गवाही दी गई है उस गवाही में कई तरह की भिन्नता हैं, जिसका लाभ देते हुए इनकी सजा को माफ कर दिया जाए. वहीं एसीबी के अधिवक्ता ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का विरोध करते हुए कहा कि उनके खिलाफ सभी आरोप सिद्ध हुए हैं, उन्होंने जो डिमांड किया था उन्होंने अपनी गवाही में उसकी स्वीकृति भी की और उन्हें रंगे हाथ 80,000 रुपये लेते हुए गिरफ्तार भी किया गया. इससे स्पष्ट है कि वह दोषी हैं और निचली अदालत द्वारा जो दी गई है सजा वह सही है. इसलिए उनकी सजा को बरकरार रखने की मांग की अदालत ने उनके पक्ष को सुनने के बाद निचली अदालत की सजा को बरकरार रखते हुए अपील याचिका को खारिज कर दिया है.
घूस के सजायाफ्ता कार्यपालक अभियंता को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, निचली अदालत की सजा को रखा बरकरार
घूस लेने के सजायाफ्ता चाईबासा के भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता सोनेलाल दास को झारखंड हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. निचली अदालत द्वारा दिए गए सजा को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद उनकी अपील याचिका को खारिज कर दिया है.
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बता दें कि चाईबासा जिला स्कूल के छत रिपेयरिंग के टेंडर के दिया गया था. कार्य पूरा होने के बाद ठेकेदार से पैसे की निकासी के बदले में 80,000 रुपये घूस मांगा गया था. कार्यपालक अभियंता को घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया था, उसके बाद मामले की सुनवाई एसीबी के अदालत में की गई जहां उन्हें दोषी पाते हुए 13 दिसंबर 2019 को 6 वर्ष की सजा और 1,00,000 जुर्माना दिया गया था. निचली अदालत द्वारा दिए गए सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. उसी याचिका पर सुनवाई के उपरांत अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दिया है.