रांचीःझारखंड में सियासी घमासान के बीच राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तिथि 10 जून को निर्धारित की है. अब यह चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. इसकी वजह है कि खाली हो रहे दोनों राज्यसभा सीट बीजेपी के खाते में हैं.
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झारखंड से दो राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार और मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल सात जुलाई को खत्म हो रहा है. इन दोनों सीट के लिए 10 जून को चुनाव होना है. इसके तहत 24 मई को नोटिफिकेशन जारी होगी. वहीं, 31 मई तक प्रत्याशी नॉमिनेशन कर सकते हैं. एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और तीन जून तक प्रत्याशी अपना नाम वापस ले सकेंगे. 10 जून को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक वोटिंग होगी और मतदान प्रक्रिया खत्म होते ही शाम पांच बजे से मतों की गिनती होगी. चुनाव की पूरी प्रक्रिया 13 जून से पहले पूरी कर ली जाएगी.
क्या कहते हैं बीजेपी नेता
राज्यसभा की दो सीटों पर होने वाले चुनाव की घोषणा होते ही सियासत शुरू हो गई है. वर्तमान में दोनों सीट भाजपा के खाते में है. विधायकों की संख्या को देखते हुए संभावना यह जताई जा रही है कि एक सीट सत्तापक्ष तो दूसरी सीट भाजपा के खाते में जा सकती है. सत्तारूढ़ दल झामुमो-कांग्रेस-राजद इस बार दोनों सीट भाजपा से छिनने की कोशिश में है. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को ही चुनाव मैदान में उतारेगी. उन्होंने झामुमो कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी परिवारवाद में विश्वास नहीं रखती है. झामुमो और कांग्रेस बताए कि कार्यकर्ता को टिकट देंगे या फिर परिवार के सदस्य को.
राज्यसभा चुनाव में सरयू राय के नवगठित तीसरा मोर्चा का अहम भूमिका होगा. निर्दलीय विधायक सरयू राय के परामर्श से आजसू प्रमुख सुदेश महतो के नेतृत्व में बने यह गुट निर्णायक भूमिका निभा सकता है. बंधु तिर्की की सदस्यता समाप्त होने के बाद झारखंड विधानसभा में वर्तमान में 80 विधायक हैं. इसमें झामुमो के सदस्यों की संख्या सर्वाधिक 29 हैं. इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल बीजेपी की 25, कांग्रेस की 16, आजसू के 2, भाकपा माले की एक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की एक, राष्ट्रीय जनता दल की एक तथा निर्दलीय दो शामिल हैं. झाविमो के तीन विधायकों में एक बाबूलाल मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता हैं और उन्हें पिछले चुनाव में भाजपा सदस्य के रूप में वोट डालने की अनुमति चुनाव आयोग ने दी थी. प्रदीप यादव वर्तमान में कांग्रेस के साथ हैं. लेकिन विधानसभा में उन्हें मान्यता नहीं मिली है.