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झारखंड में कोरोना काल में चार लाख बच्चों ने पढ़ाई से बनाई दूरी, विभागीय सर्वेक्षण में चौकाने वाले खुलासे - झारखंड में स्कूल

स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग चार लाख बच्चे पठन-पाठन से पूरी तरह दूर हो चुके हैं. माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से पहले ही इस मामले को लेकर सवाल खड़ा किया गया था. संघ ने कहा था कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन पठन-पाठन की सुविधा है ही नहीं.

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सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों पर विभाग ने किया सर्वेक्षण

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Published : May 31, 2021, 11:25 AM IST

रांची:कोरोना काल में व्यापक स्तर पर सरकारी स्कूलों के पठन-पाठन पर असर पड़ा है. स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग चार लाख बच्चे पठन-पाठन से पूरी तरह दूर हो चुके हैं. कोई भी कारगर उपाय भी नहीं है कि इन तक ऑनलाइन पठन पाठन पहुंचाया जा सके. मामले को लेकर विभाग ने चिंता व्यक्त की है.
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माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से पहले ही इस मामले को लेकर सवाल खड़ा किया गया था. संघ ने कहा था कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन पठन-पाठन की सुविधा है ही नहीं. ऐसे में सरकारी स्कूलों के 35 लाख बच्चों की पढ़ाई को लेकर विभागीय सर्वेक्षण किया गया है.

इस सर्वेक्षण के मुताबिक इन बच्चों में लगभग 2 लाख बच्चे पठन-पाठन से पूरी तरह दूर हो गए हैं. ऑनलाइन पठन-पाठन तो दूर की बात यह बच्चे खुद से भी घर में पढ़ाई नहीं करते. राज्य सरकार की ओर से संचालित डीजी एप और विभिन्न ऑनलाइन माध्यम से यह बच्चे नहीं जुड़ते हैं. हालांकि शिक्षकों के मुताबिक 2 लाख बच्चों के आंकड़ें चार लाख तक हो गए हैं. 4 लाख से अधिक बच्चों का पठन-पाठन से कोई नाता फिलहाल नहीं है.

प्रखंड स्तर पर बनेगा शिक्षकों का एक समूह

शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया था कि इस परेशानी को दूर करने के लिए प्रखंड स्तर पर शिक्षकों का एक समूह बनाया जाएगा और वह ग्रामीण क्षेत्रों तक जाकर ऑनलाइन पढ़ाई उन बच्चों को कराएंगे. संभव हो सके तो प्रखंड कार्यालय और नजदीकी स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें ऑफलाइन पढ़ाया जाएगा लेकिन तमाम योजनाएं शिक्षा विभाग की धरी की धरी रह गईं. इस ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया और इस वजह से ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित हो गए.

समय पर नहीं मिली किताबें

किताब वितरण में भी काफी देरी हुई. इस वजह से भी बच्चों को पढ़ाई में रुचि नहीं रही. अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो गई कि वह बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान दें या फिर अपनी आजीविका पर, यह भी एक बड़ा कारण साबित हुआ. इस पूरे मामले को लेकर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक शैलेश चौरसिया ने कहा है कि एक व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर पढ़ाई से दूर हुए बच्चों को जोड़ने की कोशिश विभाग की होगी. जल्द ही इसे लेकर एक अभियान चलाया जाएगा. स्कूल खुलने पर ऐसे बच्चों को चिन्हित करने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी. साथ ही उनके लिए अतिरिक्त क्लास की व्यवस्था भी होगी.

उच्च शिक्षा में हो रहा है नया प्रयोग

हालांकि इस कोरोना संकट काल में उच्च शिक्षा विभाग ने हाथों-हाथ ऑनलाइन क्लास और गतिविधियों को लिया है. उच्च शिक्षा विभाग के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को थोड़ी बहुत परेशानी जरूर हो रही, लेकिन वह किसी न किसी तरीके से अपनी इन परेशानियों को दूर जरूर कर रहे हैं.

अब तो शिक्षकों की ओर से भी ब्लॉग लिखकर विद्यार्थियों को स्टडी मेटेरियल उपलब्ध कराए जा रहे हैं. डीएसपीएमयू के शिक्षक छात्रों की परीक्षा की तैयारी के लिए वेबसाइट पर ब्लॉग लिखकर उन्हें लाभ पहुंचा रहे हैं. विद्यार्थियों को इसका लाभ भी मिल रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक डीएसपीएमयू की वेबसाइट पर 6329 ब्लॉग यानी लेक्चर कंटेंट विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं.

आरयू में काउंसलिंग के क्षेत्र में पीजी कोर्स की होगी शुरुआत

इधर रांची विश्वविद्यालय में काउंसलिंग के क्षेत्र में अब उच्च शिक्षा की पढ़ाई करवाई जाएगी. इसको लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से निर्णय लिया गया है. हालांकि आरयू एकेडमिक काउंसिल से इसे पारित करने के बाद ही इस विषय की पढ़ाई को लेकर आगे की योजना बनाई जाएगी. विश्वविद्यालय का प्लान है कि साइकोलॉजी काउंसलिंग के 2 वर्षीय पीजी कोर्स रांची विश्वविद्यालय में हो.

ताकि उच्च शिक्षा हासिल करने वाले विद्यार्थी इस विषय को पढ़ने के लिए अन्य राज्यों की ओर पलायन ना कर सकें. जानकारी के मुताबिक 2 वर्षीय इस पीजी काउंसलिंग कोर्स का सिलेबस तैयार कर लिया गया है. जिस पर बोर्ड ऑफ स्टडीज की मुहर भी लगा दी गई है. अगर एकेडमिक काउंसिल से यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो राज्य में पहली बार 2 वर्षीय पीजी साइकोलॉजी काउंसलिंग की पढ़ाई होगी. यह कोर्स 4 सेमेस्टर का होगा.

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