रांची:कोरोना ने झारखंड की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. भारत ज्ञान विज्ञान समिति की ओर से किए गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले डेढ़ वर्षों में सिर्फ 5.3 प्रतिशत बच्चे ही रेगूलर बेसिस पर ऑनलाइन क्लास कर पाए हैं. जबकि करीब 35 प्रतिशत बच्चे अपने माता-पिता के मोबाइल से ऑनलाइन क्लास से जुड़े हैं, जो रेग्यूलर नहीं रहा. क्योंकि माता-पिता के घर से बाहर रहने पर बच्चों को मोबाइल नहीं मिल पाया. इसके अलावा कई आर्थिक कमजोरी के कारण डाटा चार्ज नहीं होने से भी पढ़ाई बाधित हुई. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि करीब 96 फीसदी बच्चे इसलिए ऑनलाइन क्लास नहीं कर पाए क्योंकि उनके पास अपना मोबाइल नहीं था. जाहिर सी बात है कि ऑनलाइन क्लास सिर्फ खानापूर्ति भर साबित हुआ है. बच्चों में अनुशासन की कमी आई है. किसी सबजेक्ट को याद करने के प्रति उनकी दिलचस्पी कम हुई है.
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झारखंड के 17 जिलों में सर्वे
भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय महासचिव डॉ काशी नाथ चटर्जी ने बताया कि शिक्षा व्यवस्था का आंकलन करने के लिए 17 जिलों में सर्वे किया गया. इस दौरान 115 प्रखंड, 620 पंचायत और 877 गांव को टारगेट किया गया. इस दौरान छोटे व्यवसायी, किसान, ठेकेदार और मजदूरी करने वाले 5118 परिवारों से बात की गई. सर्वे में 55.14% परिवार ओबीसी, 21.5 1% आदिवासी, 18.21% अनुसूचित जाति, 5.14% सामान्य जाति के परिवार शामिल थे. इस काम में 662 वॉलेटियर्स की मदद ली गई. तब जाकर एक डाटा तैयार हुआ. समिति का दावा है कि ज्यादातक अभिभावक चाहते हैं कि सुरक्षा मानकों को पूरा करते हुए स्कूलों को खोला जाना चाहिए.